बिहार के DGP बनने के बाद पैतृक गांव पहुंचे आलोक राज; मंदिर में की पूजा, युवाओं से बोले- खूब पढ़ो
बिहार का डीजीपी बनने के बाद पहली बार आलोक राज अपने पैतृक गांव मुजफ्फरपुर के गोपालपुर नेउरा पहुंचे। जहां उन्होने मंदिर में पूजा की। मजार पर चादर चढ़ाई। और युवाओं से मन लगाकर पढ़ने को कहा।
बिहार के डीजीपी आलोक राज पद संभालने के बाद पहली बार रविवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे। पैतृक गांव गए और वहां से लौटने के बाद एसएसपी कार्यालय में समीक्षा बैठक की। उन्होंने मुजफ्फरपुर का क्राइम सेनेरिओ के आधार पर अपराध नियंत्रण के लिये कारगर कदम उठाने का निर्देश दिया। पत्रकारों से कहा की जिला पुलिस के उत्साह वर्धन के लिये आए हैं। अपराध नियंत्रण के लिये पुलिस सख्त कदम उठाएगी।
डीजीपी पहले अपने पैतृक गांव सरैया के गोपालपुर नेउरा पहुंचे। उनके आने की सूचना पर पहले से हीं सरैया बीडीओ डॉ. भृगुनाथ सिंह, सीओ अंकित कुमार, एसडीपीओ कुमार चंदन, थानाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह आदि मुस्तैद थे। गांव में आने के बाद डीजीपी अपने आवास पहुंचे, जहां पर उनका स्वागत विधायक अशोक कुमार सिंह, पूर्व प्रखंड प्रमुख मो. उमर अंसारी एवं अधिकारियों ने किया। परिजनों व गांव बालों से मिलने के बाद वे अपने कुल देवता की पूजा किये।
उसके बाद घर के समीप स्थित माई स्थान व शिवालय मंदिर में जाकर पूजा किये। तत्पश्चात गांव में स्थित मजार पर पहुंचे और सिर झुकाया। इस दौरान मौके पर उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा कि आपलोग मन लगाकर पढ़ाई करो। अच्छी पढ़ाई करोगे तो अच्छी नौकरी पाओगे। नौकरी की तैयारी करो, प्रतियोगिता परीक्षा पास करो और आगे बढ़ो। अपना और अपने परिवार का नाम रौशन करो। अपने गांव की, अपने समाज की सेवा करो। सबों से मिलने के बाद डीजीपी का काफिला शहर के लिए निकल गया।
मुजफ्फरपुर सर्किट हाउस में डीएम सुब्रत कुमार सेन और एसएसपी राकेश कुमार से बात की। इसके बाद एसएसपी कार्यालय में सभी डीएसपी स्तर के अधिकारियो के साथ बैठक की।
आपको बता दें आलोक राज के पिता परमेश्वर प्रसाद सांख्यकी विभाग में निदेशक रहे हैं। रिटायर होने के बाद हर माह गांव में आते हैं। आलोक राज की दो संतानों में एक पुत्र और एक पुत्री है। बेटा सुप्रीम कोर्ट में वकील है। बेटी अमेरिका में रहकर पढ़ाई कर रही है। हाल ही में बेटी की एमबीए के डिग्री समारोह में भाग लेने के लिए आलोक राज व उनके पिता के साथ ही परिवार के अन्य सदस्य अमेरिका गए थे।
आलोक राज के ससुर डीएन सहाय (दिनेश नंदन सहाय) भी राज्य के डीजीपी रह चुके हैं। उमर अंसारी के मुताबिक आलोक राज की शादी के समय उनके ससुर डीजीपी के पद पर आसीन थे। सेवानिवृत्त होने के बाद छत्तीसगढ़ व त्रिपुरा के राज्यपाल भी रहे थे। करीब छह साल पहले उनका निधन हो गया था।
आलोक राज दिसंबर 2025 में रिटायर होंगे, उससे पहले उनके पास लंबा कार्यकाल बचा है। पश्चिम बंगाल और झारखंड के नक्सली इलाके में सात साल तक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ काम करने का अनुभव है। डीजी (ट्रेनिंग) समेत तमाम पदों पर उनका राज्य में लंबा कार्यकाल रहा है।
उन्होंने पहले आईजी (मुख्यालय), आईजी (कमजोर वर्ग), विशेष सचिव (गृह), एडीजी (कानून व्यवस्था), विशेष शाखा, सीआईडी, रेल, डीजी (प्रशिक्षण), बिहार पुलिस अकादमी, बीएसएपी, डीजी-सह- के रूप में काम किया। बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के अध्यक्ष भी रहे। आलोक राज मृदुभाषी और नियमों का पालन करने वाले अधिकारी हैं। वह अपनी गायकी के लिए भी जाने जाते हैं, उन्होंने कई भजन और ग़ज़लें गाई हैं। उन्होंने शास्त्रीय संगीत में अपना कोर्स किया है और कई एल्बम भी बनाए हैं।