LNMU में 20 करोड़ गबन में एक्स-वीसी समेत 15 अफसर नामजद, सबूत खंगाल रही SUV
- निगरानी टीम के पहुंचने और जांच शुरू होने से विवि मुख्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। निगरानी की टीम पहले भी विश्वविद्यालय पहुंची थी और कुलपति आवास पर लगभग पांच घंटे तक कागजातों को खंगाला। कागजातों की जांच जारी है।
बिहार के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, एलएनएमयू में परीक्षा कार्यों से जुड़े 20 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी मामले में निगरानी टीम दस्तावेजों को खंगाल रही है। विशेष निगरानी इकाई में चार सितंबर को केस दर्ज किया गया है। इस मामले के आईओ डीएसपी चंद्र भूषण के नेतृत्व में पहुंची दो सदस्यीय टीम ने विवि मुख्यालय में कागजातों की जांच की। मामले में विवि के पूर्व वीसी और रजिस्ट्रार सहित 15 अधिकारियों को नामजद किया गया है।
बुधवार को दोपहर करीब एक बजे विवि मुख्यालय पहुंची। टीम ने मुख्य प्रशासनिक भवन में कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी व कुलसचिव डॉ. अजय कुमार पंडित से बात कर मामले से संबंधित कागजात और संचिकाओं की मांग की। निगरानी टीम के सदस्य अतिथि गृह में कागजातों की जांच में जुटे रहे। टीम शाम में विवि मुख्यालय से निकल गई। निगरानी डीएसपी चंद्र भूषण ने बताया कि फिलहाल वे मामले में कुछ नहीं बता सकते। कुलपति और कुलसचिव ने बताया कि विवि प्रशासन जांच में पूरी तरह सहयोग कर रहा है।
निगरानी टीम के पहुंचने और जांच शुरू होने से विवि मुख्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। निगरानी की टीम पहले भी विश्वविद्यालय पहुंची थी और कुलपति आवास पर लगभग पांच घंटे तक कागजातों को खंगाला। बुधवार को भी कागजातों की जांच जारी रही। मामले के आरोपित कई अधिकारी भी विवि मुख्यालय में नजर आए, लेकिन अभी किसी से पूछताछ नहीं हुई है।
पूर्व वीसी-रजिस्ट्रार सहित 15 अधिकारी हैं नामजद
लनामिवि में लाखों की हेराफेरी से संबंधित मामले में तत्कालीन कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह, तत्कालीन रजिस्ट्रार प्रो. मुश्ताक अहमद, तत्कालीन वित्तीय सलाहकार कैलाश राम, तत्कालीन वित्तीय अधिकारी फैजल रहमान, तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार कामेश्वर पासवान, कॉलेज इंस्पेक्टर (कला-वाणिज्य) प्रो. अशोक कुमार मेहता समेत 15 नामजद और अन्य अभियुक्त बनाए गए हैं। यह केस मधुबनी के धबही निवासी रोहित कुमार की शिकायत पर दर्ज हुआ है। आरोप है कि नामजद आरोपितों ने मिलीभगत कर प्रश्नपत्र, कॉपी की छपाई आदि में धांधली की है। मनमाने ढंग से मनपसंद कंपनी या एजेंसी को अधिक दाम पर काम आवंटित कर विवि के फंड का दुरुपयोग किया है। प्रश्नपत्र सप्लाई करने वाली लखनऊ की कंपनी एक्सएलआईसीटी सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड और सॉफ्ट प्रो. इंडिया कंप्यूटर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड भी मामले में अभियुक्त है। साथ ही लखनऊ निवासी अतुल श्रीवास्तव, संदीप दुबे, अजय मिश्रा, एमए कुमार जैसे निजी लोग भी नामजद हैं।