हाइब्रिड कारों का भविष्य! क्या ये बचा सकती हैं आपका पैसा और पर्यावरण? जानिए सच
हाइब्रिड कारें पेट्रोल/डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर का परफेक्ट कॉम्बिनेशन हैं। ये अच्छा माइलेज भी देती हैं। लेकिन, इनका भविष्य भारत और ग्लोबल मार्केट में कैसा होगा? इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमने आपके लिए आज एक स्पेशल रिपोर्ट तैयार की है। आइए इसे समझते हैं।
हाइब्रिड कारें (Hybrid Cars) पेट्रोल/डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों का उपयोग करती हैं। ये दोनों तकनीक मिलकर बेहतर माइलेज देती हैं। इसके साथ ही कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं। सिटी और लंबी दूरी की ड्राइविंग में ये कारें बेहतर प्रदर्शन करती हैं। दुनिया भर में बढ़ते प्रदूषण और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच हाइब्रिड कारें (Hybrid Cars) भविष्य का एक महत्वपूर्ण विकल्प बन रही हैं। हाइब्रिड तकनीक पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने और फ्यूल की खपत कम करने में काफी मददगार साबित हो रही है। लेकिन, एक सवाल हर किसी के मन में अभी रहता है कि आखिर हाइब्रिड कारों का भविष्य भारत और ग्लोबल मार्केट में कैसा होगा? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमने आज एक स्पेशल रिपोर्ट तैयार की है। आइए इसे जरा विस्तार से समझते हैं।
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भारत में हाइब्रिड कारों का महत्व
भारत में EV (इलेक्ट्रिक वाहन) को पूरी तरह से अपनाने में अभी थोड़ा सा और समय लग सकता है, लेकिन हाइब्रिड कारें एक ट्रांजिशन तकनीक के रूप में काम कर सकती हैं। जी हां, क्योंकि ईवी के लिए अभी भी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। भारत में ईवी चार्जिंग स्टेशन लिमिटेड है। ऐसे में अगर हाइब्रिड कारों की कीमत कम हों तो ये लोगों के लिए सबसे किफायती ऑप्शन बन सकती हैं।
हाइब्रिड कारों का मुख्य प्रकार
माइल्ड हाइब्रिड: माइल्ड हाइब्रिड कारों में पेट्रोल इंजन के साथ एक इलेक्ट्रिक मोटर भी होता है।
फुल हाइब्रिड: फुल हाइब्रिड कारों में इलेक्ट्रिक मोटर और इंजन दोनों स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं।
प्लग-इन हाइब्रिड: प्लग-इन हाइब्रिड में बड़ी बैटरी होती है, जो एक्सटर्नल चार्जिंग से भी चार्ज हो सकती है।
बगैर रेंज की चिंता शानदार माइलेज
हाइब्रिड कारें लंबे सफर के लिए बिल्कुल ठीक रहती हैं। इसमें ईवी की तरह बैटरी डिस्चार्ज होने की चिंता नहीं होती है। बैटरी खत्म होने पर पेट्रोल इंजन का सहारा लिया जा सकता है। फुल इलेक्ट्रिक कारों के मुकाबले हाइब्रिड कारें किफायती होती हैं। वहीं, पेट्रोल कारों की तुलना (10 से 12 रुपये प्रति किमी.) में हाइब्रिड (4 से 5 रुपये प्रति किमी.) कार से चलने का खर्च काफी कम आता है।
ग्लोबल स्तर पर हाइब्रिड कारों की डिमांड
ग्लोबल लेवल पर हाइब्रिड कारों की डिमांड बढ़ रही है। खासकर हाइब्रिड कारों की डिमांड यूरोप, जापान और अमेरिका में काफी ज्यादा हैं। पिछले कुछ महीनों में यूरोपीय बाजार में हाइब्रिड कारों की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ी है। यूरोप के कुछ देशों में तो इलेक्ट्रिक कारों से ज्यादा हाइब्रिड कारों की डिमांड हैं। यूरोप और अमेरिका में कड़े उत्सर्जन मानकों के कारण भी हाइब्रिड कारों को प्राथमिकता मिल रही है। हालांकि, यूके जैसे कुछ ऐसे देश भी हैं, जहां बहुत पहले से हाइब्रिड कारें चल रही हैं और अब वो इसे बंद करने की तैयारी में हैं। ब्रिटेन जैसे देशों में तो जीरो एमिशन के तहत 2030 तक हाइब्रिड कारों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की तैयारी है।
द गार्जियन (2 जनवरी 2025) में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इस बैन में टोयोटा प्रियस समेत कई हाइब्रिड मॉडल हैं, जिसमें एक पेट्रोल या डीजल इंजन के साथ-साथ बैटरी द्वारा संचालित एक इलेक्ट्रिक मोटर भी है। लेकिन, सख्त एमिशन नियमों के चलते इनका सफर ब्रिटेन में कभी भी खत्म हो सकता है।
हाइब्रिड कार बनाने वाली कंपनियां और मॉडल
हाइब्रिड कार बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की बात करें तो टोयोटा (Toyota), होंडा (Honda), हुंडई (Hyundai) जैसी कंपनियां हाइब्रिड तकनीक में अग्रणी हैं। भारत में प्रमुख हाइब्रिड मॉडलों की बात करें तो टोयोटा इनोवा हाईक्रॉस (Toyota Innova Hycross), मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा (Grand Vitara), टोयोटा अर्बन क्रूजर हायराइडर (Toyota Urban Cruiser Hyryder) और होंडा सिटी हाइब्रिड (Honda City Hybrid) जैसे मॉडल हैं।
भारत में हाइब्रिड इलेक्ट्रिक रेट्रोफिट सॉल्यूशन
हाइब्रिड टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए फोल्क्स मोटर (Folks Motor) जैसी कंपनियां भी काम कर रही हैं। यह एक ऐसा ब्रांड है, जो कारों को हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की क्रांति लाने की दिशा में काम कर रहा है। कंपनी हाइब्रिड इलेक्ट्रिक रेट्रोफिट सॉल्यूशन में विशेषज्ञता रखती है और प्रमाणित प्री-ओन्ड कारों के साथ-साथ एडवांस हाइब्रिड रेट्रोफिट किट्स भी प्रदान करती है।
फोल्क्स मोटर के एमडी से बातचीत
लाइव हिंदुस्तान ऑटो की टीम ने फोल्क्स मोटर के फाउंडर निखिल खुराना से बातचीत की। उन्होंने बताया कि हमारी कंपनी मार्केट में मौजूद नई और पुरानी कारों में भी हाइब्रिड टेक्नोलॉजी लगाने की दिशा में काम कर रही है। रेट्रोफिट सॉल्यूशन के आने से हम उन गाड़ियों में भी हाइब्रिड टेक्नोलॉजी लगा पाएंगे, जो काफी पुरानी हो गई हैं, लेकिन वो फिजिकली बिल्कुल फिट हैं। इससे भारतीय लोगों को कम पैसे में सस्ती हाइब्रिड कारें उपलब्ध हो पाएंगी और ICE इंजन वाली गाड़ियों का माइलेज बढ़ाया जा सकेगा। निखिल का मानना है कि अगर सरकार टैक्स में कुछ छूट और ग्राहकों को सब्सिडी देती है, तो निश्चित रूप से आने वाला समय हाइब्रिड कारों का होगा।
हाइब्रिड कारों के फायदे और चुनौतियां
फायदे क्या हैं?
बेहतर माइलेज: रेगुलर पेट्रोल-डीजल कारों की तुलना में ज्यादा माइलेज मिलता है।
कम प्रदूषण: CO₂ उत्सर्जन कम, जो पर्यावरण के लिए बेहतर है।
इंजन और मोटर: हाइब्रिड कारें ट्रैफिक में इलेक्ट्रिक मोटर का यूज करती हैं और हाईवे पर पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल करती हैं। इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर की सहायता से ये कारें माइलेज का बढ़ा देती हैं।
चुनौतियां क्या हैं?
लागत: वर्तमान में भारतीय बाजार में हाइब्रिड कारें रेगुलर कारों से महंगी हैं।
मेंटेनेंस: इसमें मिलने वाली बैटरी और मोटर के कारण हाइब्रिड कारों का मेंटेनेंस अधिक हो सकता है।
लिमिटेड विकल्प: भारत में हाइब्रिड कारों का ऑप्शन अभी भी पेट्रोल और डीजल कारों की तुलना में काफी लिमिटेड है।
सरकार की भूमिका
भारतीय सरकार FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) जैसी योजनाओं के माध्यम से हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है। लेकिन, हाइब्रिड कार निर्माता कंपनियों की डिमांड ईवी की तरह हाइब्रिड पर भी सब्सिडी को बढ़ाने का है, जिससे हाइब्रिड कारों को ग्राहक कम बजट में भी खरीद पाएं।
भविष्य की संभावनाएं
अगर बैटरी तकनीक में सुधार और उत्पादन लागत में कमी आती है, तो भारत में हाइब्रिड कारें और सस्ती हो सकती हैं। ग्रामीण भारत में EV चार्जिंग स्टेशनों की कमी है, ऐसे में अगर हाइब्रिड कारें थोड़ी सस्ती होती हैं, तो ग्रामीण इलाकों में भी खरीद बढ़ेगी और इसस हाइब्रिड कारों की बिक्री ग्रोथ देखने को मिल सकेगी।
पेट्रोल-डीजल की निर्भरता कम करना
हाइब्रिड तकनीक भारत को एनर्जी एफिशिएंसी की ओर ले जा सकती हैं। हाइब्रिड कारें रेगुलर और इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच एक स्मार्ट ब्रिज की तरह काम कर सकती हैं। भारत में EV को पूरी तरह से अपनाने में समय लगेगा, लेकिन हाइब्रिड कारें उस खाई को पाटने का काम कर सकती हैं। हाइब्रिड कारों की मदद से निश्चित रूप से पेट्रोल-डीजल पर हमारी निर्भरता कम हो सकती है।
अगर आप एक ऐसी कार चाहते हैं, जो फ्यूल की बचत करे, प्रदूषण कम करे और लंबी दूरी की यात्रा में भी आरामदायक हो, जहां आपको रेंज की चिंता न करनी पड़े, तो हाइब्रिड कार आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।
(Credit and Source- theguardian, afdc.energy, Folks Motor)
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