10 अक्टूबर को सप्तमी व अष्टमी दोनों व्याप्त, जानें किस तिथि का व्रत रखना उत्तम व कन्या पूजन मुहूर्त
- Navratri Saptami Vrat 2024: नवरात्रि की सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है। सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। जानें 10 अक्टूबर को सप्तमी व्रत रखा जाएगा या अष्टमी और कन्या पूजन के मुहूर्त-
10 October Kanya Pujan Muhurat 2024: शारदीय नवरात्रि की सप्तमी को महासप्तमी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। ज्योतिष गणना के अनुसार, 10 अक्टूबर को सप्तमी व अष्टमी दोनों ही व्याप्त रहेंगी। जिसके कारण लोगों के बीच सप्तमी व अष्टमी तिथि को लेकर कंफ्यूजन हो रहा है। जानें सप्तमी और अष्टमी व्रत कब रखा जाएगा और 10 अक्टूबर को कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त-
सप्तमी व्रत कब रखना रहेगा उत्तम- ज्योतिष गणना के अनुसार, सप्तमी तिथि 09 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:14 मिनट से 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे तक रहेगी। पंडित ज्योतिषाचार्य नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, 9 तारीख को पूरे दिन और 10 अक्टूबर को दोपहर तक सप्तमी व्याप्त रहेगी। इसलिए सप्तमी का व्रत 09 अक्टूबर को भी रखा जा सकता है और 10 अक्टूबर को भी रख सकते हैं।
सप्तमी युक्त अष्टमी व्रत मान्य नहीं- पंडित जी के अनुसार, 10 अक्टूबर को दोपहर बाद अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी। हिंदू धर्म ग्रंथों में सप्तमी युक्त अष्टमी व्रत करने की मनाही है, जबकि अष्टमी युक्त नवमी व्रत किया जा सकता है। इसलिए अष्टमी का व्रत 11 अक्टूबर को ही रखना उत्तम रहेगा। इस साल चतुर्थी तिथि की वृद्धि और नवमी का क्षय हो रहा है। इसलिए 11 अक्टूबर को ही नवमी भी मनाई जाएगी।
10 अक्टूबर को कन्या पूजन- पंडित जी ने बताया कि मां भगवती का आशीष प्राप्त करने के लिए नवरात्रि में कन्या पूजन किसी भी दिन किया जा सकता है। लेकिन अष्टमी व नवमी तिथि को ज्यादातर लोग कन्या पूजन करते हैं। अष्टमी व नवमी का कन्या पूजन 11 अक्टूबर को किया जाएगा। जानें सप्तमी तिथि 10 अक्टूबर के कन्या पूजन मुहूर्त-
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कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:18 से सुबह 07:45 तक रहेगा। उसके बाद दोपहर 12:07 से सुबह 01:34 तक और दोपहर 01:34 से दोपहर 03:01 कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त रहेगा।
अष्टमी व नवमी की संयुक्त पूजा- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो लोग अष्टमी व नवमी दोनों दिन पूजन करते हैं, वे 11 अक्टूबर को सुबह अष्टमी और दोपहर बाद या शाम को नवमी पूजन कर सकते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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