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24 फरवरी को रखा जाएगा विजया एकादशी व्रत, विष्णुजी को कृपा पाने के लिए इस विधि से करें पूजा

  • Vijaya Ekadashi 2025: हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने से साधक के हर कार्य सफल होते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 22 Feb 2025 07:45 PM
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24 फरवरी को रखा जाएगा विजया एकादशी व्रत, विष्णुजी को कृपा पाने के लिए इस विधि से करें पूजा

Vijaya Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह में 24 फरवरी 2025 को विजया एकादशी व्रत रखा जाएगा। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को रखने से साधक पर विष्णुजी की विशेष कृपा होती है और जीवन के समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सुख-समृद्धि के आगमन के लिए यह व्रत बेगद खास माना जाता है। कहा जाता है कि इससे हर संकट और दुख-बाधा से मुक्ति मिलती है। यह भी मान्यता है कि भगवान राम ने लंकापति रावण को युद्ध में हराने के लिए विजया एकादशी का व्रत रखा था। इस व्रत को सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष दिलाने वाला भी माना गया है। ऐसे में आप भी श्रीहरि विष्णुजी की कृपा पाने के लिए विजया एकादशी का व्रत रख सकते हैं और उनकी विधि-विधान से पूजा-उपासना कर सकते हैं। आइए जानते हैं विजया एकादशी व्रत की सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि..

विजया एकादशी 2025 तिथि कब से कब तक?

द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 23 फरवरी 2025 को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर होगी और अगले दिन 24 फरवरी 2025 को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 24 फरवरी 2025 को विजया एकादशी मनाई जाएगी।

विजया एकादशी 2025: शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त : 05:11 ए एम से 06:01 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त : 12:12 पी एम से 12:57 पी एम तक

विजय मुहूर्त :02:29 पी एम से 03:15 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त: 06:15 पी एम से 06:40 पी एम तक

अमृत काल : 02:07 पी एम से 03:45 पी एम

विजया एकादशी 2025: पूजाविधि

विजया एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।

स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।

विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएं।

विष्णुजी को फल, फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें।

इसके बाद विष्णुजी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

विष्णुजी की विधि-विधान से पूजा करें।

विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु स्त्रोत का पाठ करें।

इस दिन निराहार या फलाहार व्रत रखें।

विजया एकादशी के दिन रात में भगवान विष्णुजी का भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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