उत्तराखंड में कल से होगी सावन के पवित्र माह की शुरुआत, इन नियमों का करें पालन
- पंचांग के अनुसार सावन का महीना इस बार 22 जुलाई से आरंभ होगा। हालांकि सौर मास के अनुसार उत्तराखंड में 16 जुलाई से ही इसकी शुरुआत हो जाएगी। इसी दिन प्रकृति और हरीतिमा का प्रतीक हरेला पर्व भी मनाया जाएगा।
पंचांग के अनुसार सावन का महीना इस बार 22 जुलाई से आरंभ होगा। हालांकि सौर मास के अनुसार उत्तराखंड में 16 जुलाई से ही इसकी शुरुआत हो जाएगी। इसी दिन प्रकृति और हरीतिमा का प्रतीक हरेला पर्व भी मनाया जाएगा। सावन माह भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ भगवान विष्णु की भी आराधना का विधान है। चातुर्मास्य में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। ज्योतिष अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि इस बार इस बार श्रावण मास 22 जुलाई से 19 अगस्त रक्षाबंधन तक रहेगा। उत्तराखंड में सौर मास के अनुसार, 16 जुलाई से श्रावण मास शुरू हो जाएगा। इसी दिन सूर्य देव मिथुन राशि से गमन कर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे तथा उत्तरायण से दक्षिणायन होंगे। कुमाऊं का प्रमुख लोकपर्व हरेला भी 16 जुलाई को मनाया जाएगा।
सावन मास का महत्व- शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही सोमवार के व्रत का फल शीघ्र मिलता है। सावन मास में भगवान शंकर की पूजा से विवाह आदि में आ रही अड़चनें दूर होने की मान्यता है।
सावन मास व्रत नियम-
1. मान्यता है कि सावन महीने में मास-मंदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
2. इस महीने वाद-विवाद से भी बचना चाहिए। घर-परिवार में स्नेह बना रहना चाहिए।
3. सावन महीने में लहसुन और प्याज के सेवन करने की मनाही होती है।
4. इसके अलावा मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि के सेवन की भी मनाही होती है। शास्त्रों में बासी और जले हुए खाने को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है।
5. शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। अगर आप व्रत रखने में असमर्थ हैं तो भगवान शिव से माफी मांग कर ना करें।
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