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कल सुबह, शाम या दोपहर कब होगा उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण? जरूर रखें इस बात का ध्यान

  • Utpanna Ekadashi 2024 : आज शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की विधिवत उपासना की जाएगी। उत्पन्ना एकादशी की पूजा ही नहीं पारण भी शुभ मुहूर्त में करना जरूरी माना जाता है। जानें उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त-

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 26 Nov 2024 06:32 PM
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Utpanna Ekadashi: आज विष्णु भक्त उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखेंगे और भगवान की उपासना करेंगे। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। वहीं, उत्पन्ना एकादशी की पूजा ही नहीं पारण का भी मुहूर्त देखा जाता है। आइए जानते हैं कब होगा उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण व विधि-

कल सुबह, शाम या दोपहर कब होगा उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण- कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत पारण 27 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन पारण (व्रत तोड़ने का) शुभ समय दोपहर 1:12 बजे से दिन के 03:18 मिनट तक रहेगा। पारण तिथि के दिन हरी वासर समाप्त होने का समय सुबह 10 बजकर 26 मिनट रहेगा। वहीं, द्वादशी तिथि 28 नवंबर की सुबह 06:23 बजे तक रहेगी।

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उत्पन्ना एकादशी का व्रत पारण कैसे करें?

स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें

भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें

प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें

अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें

मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें

पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें

प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं

अंत में व्रत संकल्प पूर्ण करें व क्षमा प्रार्थना करें

प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें

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व्रत पारण के दिन जरूर रखें इस बात का ध्यान- पंचांग के अनुसार, एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्य के उदय होने के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना शुभ नहीं माना जाता है। एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो विष्णु भक्त व्रत कर रहे हैं, उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करना चाहिये। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि मानी जाती है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे शुभ समय प्रातः काल का होता है। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातः काल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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