उठो देव बैठो देव, पाटकल्ली चटकाओ देव, देवों को उठाते समय गाया जाता है गीत
Dev Uthani Ekadashi Geet आज कार्तिक मास की एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा से जांगेगे। भगवान को शाम को प्रदोष काल में जगाया जाएगा। शाम को उन्हें सभी मौसमी चीजें अर्पित की जाएगीं।उनकी आकृति पाटे पर बनाई जाएगी, जिसे अल्पना कहते हैं। इसके बाद थाली से ढककर गीत गाए जाते हैं
आज कार्तिक मास की एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा से जांगेगे। भगवान को शाम को प्रदोष काल में जगाया जाएगा। शाम को उन्हें सभी मौसमी चीजें अर्पित की जाएगीं।उनकी आकृति पाटे पर बनाई जाएगी, जिसे अल्पना कहते हैं। इसके बाद थाली से ढककर गीत गाए जाते हैं, उठो देव बैठो देव उंगलियां चटकाओ देव। हर जगह ये गीत अलग-अलग तरह से गाए जाते हैं, अलग-अलग परंपरा के अनुसार देवों को उठाने की विधि भी अलग है। यहां हम सामान्य और प्रचलित गीत के लिरिक्स दे रहे हैं, जो अधिकतर जगह गाए जाते हैं।
हाथ-पांव फटकारो देव
उंगलियां चटकाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
गन्ने का भोग लगाओ देव
सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥
उठो देव बैठो देव
उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी, नयी कपास
ज़ारे मूसे गोवल जा
गोवल जाके, दाब कटा
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले क़ोले, धरे चपेटा
ओले क़ोले, धरे अनार
ओले क़ोले, धरे मंजीरा
उठो देव बैठो देव
उठो देव जागो देव गीत
उठो देव बैठो देव, पाटकल्ली चटकाओ देव,
आषाढ़ में सोए देव, कार्तिक में जागो देव।।
कोरा कलशा मीठा पानी, उठो देव पियो पानी,
हाथ पैर चटकाओ देव, पूड़ी हलुआ खाओ देव।।
क्वारों के ब्याह कराओ, ब्याहों के गौना कराओ,
तुम पर फूल चढ़ाये देव, घी का दिया जलायें देव।।
आओ देव पधारो देव, तुमको हम मनायें देव।।
ओने कोने रखे अनार, ये हैं किशन तुम्हारे यार,
जितनी खूंटी टांगू सूट, उतने इस घर जन्में पूत।।
जितनी इस घर सीख सलाई, उतनी इस घर बहुएं आई।।
जितने इस घर इंट ओ रोड़े, उतने इन घर हाथी घोडे।।
गन्ने का भोग लगायो देव, दूध का भोग लगाओ देवं।।
धान, सिंघाड़े, बेर, गाजरें, सब का भोग लगाओ देव,
बेगन का भोग लगायो देव, पूए का का भोग लगाओ देव।।
चने की भाजी खाओ देव,
आज हमारे घर से आओ देव।।
जो मन भाये खाओ देव,
क्वारों का घर बसवाओ देव।।
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