Tulsi Vivah: आज शाम इस मुहूर्त में करें तुलसी विवाह, जानें कैसे करें तुलसी विवाह पूजा
- Tulsi Vivah Time, Muhurat, Pooja Vidhi : 12 नवंबर की शाम में तुलसी विवाह पूजन होगा। शाम 4 बजे राहुकाल व भद्रा समाप्त होने के बाद शुभ मुहूर्त में विधिवत तुलसी विवाह पूजन करना उत्तम रहेगा। जानें, तुलसी विवाह की विधि व मुहूर्त-
Tulsi Vivah Time, Muhurat, Pooja Vidhi: आज देवउठनी एकादशी है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन तुलसी विवाह पूजन किया जाएगा। शाम के समय तुलसी विवाह पूजन करना शुभ माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा के अनुसार, देव उठावनी एकादशी के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का विधान है। तुलसी विवाह पूजन से वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं खत्म होती है और जिन लोगों के विवाह में रुकावटें आती हैं वह भी दूरी हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी-शालिग्राम का विवाह करने पर कन्यादान के बराबर का पुण्य लाभ मिलता है। जानें, तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त व सम्पूर्ण विधि-
आज शाम इस मुहूर्त में करें तुलसी विवाह
बाबा कुपेश्वरनाथ मंदिर के पंडित विजयानंद शास्त्री के अनुसार, देवोत्थान एकादशी के दिन शाम में तुलसी विवाह संपन्न कराया जाएगा। पंचांग के अनुसार, आज शाम गोधूलि मुहूर्त 05:29 बजे से 05:55 बजे तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग आज सुबह 07:52 बजे से 13 नवम्बर की सुबह 05:40 बजे तक रहेगा। लाभ - उन्नति मुहूर्त शाम 07:08 से 08:47 बजे तक है। राहुकल व भद्रा शाम 04:08 बजे तक समाप्त हो जाएगी। ऐसे में तुलसी पूजन लाभ- उन्नति मुहूर्त में करना उत्तम रहेगा।
कैसे करें तुलसी विवाह पूजा: सबसे पहले पूजा के स्थान पर गन्ने से मंडप सजाएं। गेरू और फूलों से तुलसी जी के गमले को भी सजाएं। अब संध्या के समय शुभ मुहूर्त में तुलसी विवाह पूजा की शुरुआत करें। लकड़ी की साफ चौकी स्थापित करें और उस पर गंगाजल छिड़क कर आसन बिछाएं। अब कलश में पवित्र जल भरें और आम के पत्ते लगाकर पूजा के स्थान पर स्थापित करें। फिर एक आसन पर तुलसी जी और दूसरे आसन पर शालिग्राम जी स्थापित करें। गंगाजल से तुलसी जी और शालिग्राम जी को स्नान कराएं। भगवान शालिग्राम को पीले फूल, वस्त्र और फल अर्पित करें फिर पीले चंदन से तिलक लगाएं। तुलसी जी को फल, फूल, लाल चुनरी, बिंदी, सिंदूर समेत श्रृंगार का सामान अर्पित करें और लाल चंदन से तिलक लगाएं। अब धूपबत्ती और घी का दीपक प्रज्वलित करें। अब हाथों में शालिग्राम जी की चौकी उठाकर तुलसी जी की 7 बार परिक्रमा करवाएं। पूरी श्रद्धा के साथ तुलसी जी और शालिग्राम जी की आरती करें। अब खीर, मेवे या मिठाई का भोग लगाएं। चाहें तो विष्णु सहस्त्रनाम या तुलसी चालीसा का पाठ करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करना न भूलें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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