Sharad Purnima 2024 Date: क्या शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा का व्रत आज रखा जाएगा? पंडित जी से जानें सही डेट
- Sharad Purnima 2024 Date: इस साल पूर्णिमा तिथि व व्रत को लेकर काफी कन्फ्यूजन बना हुआ है। 16 या 17 अक्टूबर, पंडित से जानें शरद पूर्णिमा का व्रत किस दिन रखना उत्तम रहेगा व मां लक्ष्मी पूजा-विधि और मंत्र-
Sharad Purnima 2024 Date: आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा व कोजागरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस साल पूर्णिमा तिथि बुधवार की शाम में शुरू हो रही और गुरुवार को समाप्त हो रही है। ऐसे में पूर्णिमा व्रत को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। उदया तिथि के अनुसार, व्रत 17 अक्टूबर को रखना चाहिए। कुछ विद्वानों का मानना है कि व्रत पूर्णिमा तिथि के दौरान ही रखना चाहिए। आइए पंडित से जानते हैं शरद पूर्णिमा का व्रत किस दिन रखना उत्तम रहेगा व पूजा-विधि और मंत्र।
क्या शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा का व्रत आज रखा जाएगा?
पंडित दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाली पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है। इस वर्ष को कोजागरी पूर्णिमा 16 अक्टूबर, 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर, 2024 की रात में 7:45 से होगा, जो 17 अक्टूबर 2024 दिन बृहस्पतिवार को दिन में ही 5:22 बजे पर समाप्त हो जाएगा। ऐसी स्थिति में पूर्णिमा तिथि में पूर्णिमा की रात 16 अक्टूबर 2024 को ही प्राप्त होगी। इसी कारण से कोजागरी पूर्णिमा का व्रत 16 अक्टूबर को रखा जाएगा। क्योंकि कोजागरी पूर्णिमा के लिए रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा होना अति आवश्यक होता है।
क्यों रखा जाता है खीर: पंडित जी के मुताबिक, इस दिन ऐसी मान्यता है कि आकाश से चंद्रमा की अमृत धारा पृथ्वी पर बरसती है। इसी कारण से आज की रात अर्थात 16 अक्टूबर की रात में शुद्ध दूध, घी, शर्करा युक्त निर्मित खीर को पूर्ण चंद्रमा की अमृतमई चांदनी में रख देने से अमृत वर्षा से सिक्त खीर अमृतमयी बन जाता है। इसलिए इस खीर को प्रसाद स्वरूप पर ग्रहण करने से जीवन शक्ति बढ़ती है तथा रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन अर्ध रात्रि में घी का दीपक जलाकर पूर्ण विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी तथा कुबेर आदि का विशेष पूजन अर्चन करने से भी अति उत्तम फल की प्राप्ति होती है तथा घर में धन, सुख, सम्पन्नता, ऐश्वर्य, वैभव तथा शांति की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा पूजा-विधि
- पवित्र नदी में स्नान करें या पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करें
- भगवान श्री हरि विष्णु और माँ लक्ष्मी का जलाभिषेक करें
- माता का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
- अब माँ लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें
- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
- संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
- शरद पूर्णिमा की व्रत कथा का पाठ करें
- श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें
- पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
- माता को खीर का भोग लगाएं
- चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें
- अंत में क्षमा प्रार्थना करें
मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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