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Hindi Newsधर्म न्यूज़Third day of the Pitru Paksha Tritiya Shradh Muhurat and Es Din shradh kiska karna chahiye

Tritiya Shradh: पितृपक्ष के तीसरे दिन श्राद्ध कर्म के 3 शुभ मुहूर्त, जानें किनका किया जाता है श्राद्ध

  • Third day of the Pitru Paksha: मान्यता है कि श्राद्ध कर्म करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होती है। 20 सितंबर 2024, शुक्रवार को पितृ पक्ष का तीसरा दिन है। जानें श्राद्ध के मुहू्र्त व किसका किया जा सकता है श्राद्ध-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 19 Sep 2024 10:58 AM
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Tritiya Shradh 2024: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितृ पितर लोक से धरती लोक पर आते हैं और अपने वंशजों या परिवारजनों को आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष 18 सितंबर प्रारंभ हुए हैं, जो कि 2 अक्तूबर तक रहेंगे। 20 सितंबर 2024, शुक्रवार को पितृ पक्ष का तीसरा दिन है। शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष की हर तिथि का अलग महत्व होता है। श्राद्ध कर्म भी तिथि व शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए किए जाते हैं। जानें पितृ पक्ष के तीसरे दिन श्राद्ध कर्म के तीन मुहूर्त व इस दिन किनका किया जाता है श्राद्ध-

पितृ पक्ष के तीसरे दिन श्राद्ध कर्म के मुहू्र्त- हिंदू धर्म ग्रंथों में श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ माने गए हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान संपन्न कर लेने चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है। ये हैं श्राद्ध के मुहूर्त-

कुतुप मूहूर्त - 11:49 ए एम से 12:38 पी एम

अवधि - 9 मिनट

रौहिण मूहूर्त - 12:38 पी एम से 01:26 पी एम

अवधि - 49 मिनट्स

अपराह्न काल - 01:26 पी एम से 03:53 पी एम

अवधि - 02 घंटे 26 मिनट

तृतीया तिथि कब से कब तक- 20 सितंबर 2024 को तृतीया तिथि सुबह 12 बजकर 39 मिनट पर आरंभ होगी जो कि 20 सितंबर 2024 को रात 09 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी।

पितृ पक्ष के तीसरे दिन किसका किया जाता है श्राद्ध- तृतीया श्राद्ध परिवार के उन दिवंगत सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष दोनों ही तिथियों का श्राद्ध किया जा सकता है। तृतीया श्राद्ध को तीज श्राद्ध भी कहा जाता है।

जल-तर्पण किसको करना चाहिए- विष्णु पुराण के अनुसार, पिता के लिए पिंडदान और जल-तर्पण पुत्र को करना चाहिए, पुत्र न हो तो पत्नी, पत्नी के नहीं होने पर सगा भाई भी श्राद्ध कर्म कर सकता है। मृत व्यक्ति के पुत्र, पौत्र, भाई की संतति पिंडदान के अधिकारी माने गए हैं।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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