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Utpanna Ekadashi 2023 : उत्पन्ना एकादशी कब है? नोट कर लें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजाविधि

Utpanna Ekadashi Kab Hai: हिंदू धर्म में हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन विष्णुजी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 20 Nov 2023 05:18 PM
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Utpanna Ekadashi 2023 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाया जाता है। इस दिन विष्णुजी की पूजा की जाती है और उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विष्णुजी के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है, जिससे साधकों को जीवन में कभी धन-दौलत की कमी नहीं होती है। इस दिन दान-पुण्य के कार्य भी बेहद शुभ माने जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि उत्पन्ना एकादशी की सही डेट, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजाविधि...

कब है उत्पन्ना एकादशी?

पंचांग के अनुसार, इस साल उत्पन्ना एकादशी की शुरुआत 8 दिसंबर 2023 को सुबह 5 बजकर 6 मिनट पर होगी और 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी।

क्यों खास है उत्पन्ना एकादशी?

मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन विष्णुजी की पूजा करने और व्रत रखने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान-पुण्य के कार्यों से साधक को कई गुना ज्यादा शुभ फल मिलता है और विष्णुजी के साथ मां लक्ष्मी जी की भी कृपा बनी रहती है।

पूजाविधि:

-उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ कपड़े पहनें।
-अगर संभव हो, तो उत्पन्ना एकादशी के व्रत का संकल्प लें।
-इसके बाद विष्णुजी को फल, फूल,धूप-दीप और नेवैद्य अर्पित करें।
-अब दूध, दही, घी, शहद और चीनी से तैयार पंचामृत विष्णुजी को अर्पित करें।
-विष्णुजी को तुलसी अति प्रिय है। इसलिए पंचांमृत में तुलसी का पत्ता जरूर डालें।
-इस दिन सायंकाल में भी विष्णुजी की पूजा करें और तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं।
-उत्पन्ना एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम और श्रीहरि स्तोत्रम का पाठ करना बेहद शुभ होता है।
-इस दिन विष्णुजी के मंदिर जाकर उनका आशीर्वाद जरूर लें।
-उत्पन्ना एकादशी का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। पारण में सात्विक भोजन का सेवन करें।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
 

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