सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में, तीन घटनाएं, इस दिन ट्रिपल लाभ के योग
Surya grahan Shanishchari and sarvpitru Amavasya: परिजनों की सेवा भाव से प्रसन्न होकर पितर देव पृथ्वी पर जीवित अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हुए पितर लोक में प्रस्थान करते हैं। महालया अमावस्या पर भोजन
इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। ये दोनों ग्रह पितरों से संबंधित हैं। इस तिथि पर पितृ पुनः अपने लोक में चले जाते हैं साथ ही वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। शनिवार होने के कारण शनिदेव का भी आशीर्वाद मिलेगा। शनि अमावस्या पर शनि के उपाय किए जाते हैं। इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है।सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध से पितरों को मोक्ष मिल जाता है। अमावस्या पर सर्वपितृ श्राद्ध के साथ ही पितृपक्ष का भी समापन हो जाएगा। आश्विन माह की कृष्ण अमावस्या 14 अक्टूबर को है, जिस दिन सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध किया जा सकता है। इस दिन को विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। पितरों का श्राद्ध कर पितृऋण से मुक्ति के लिए इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी को अपने पितर की पुण्य तिथि याद नहीं है तो वह सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म कर सकता है और इससे पितरों को मोक्ष मिल जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र झा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध तिथि कहा जाता है। इस दिन भूले-बिसरे पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। कहते हैं कि इस दिन अगर पूरे मन से और विधि-विधान से पितरों की आत्मा की शांति श्राद्ध किया जाए तो न केवल पितरों की आत्मा शांत होती है बल्कि उनके आशीर्वाद से घर-परिवार में भी सुख-शांति बनी रहती है। परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी रहती है और जीवन में चल रही परेशानियों से भी राहत मिलती है। इधर, गया विष्णुपद में पिंडदान कराने वाले मंझवे निवासी कर्मकांडी पंडित जितेन्द्र पांडेय ने बताया कि धर्म ग्रंथों में सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। यह तिथि सभी 12 अमावस्या तिथियों में सबसे खास होती है। इस तिथि पर पितरों के लिए जल दान, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से वे पूरी तरह तृप्त हो जाते हैं।
जान लें सर्वपितृ अमावस्या तिथि मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या इस बार 14 अक्टूबर को पड़ रही है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर की रात्रि 09:50 बजे से शुरू होगी और 14 अक्टूबर मध्य रात्रि 11:24 बजे समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन श्राद्ध-तर्पण के लिए तीन मुहूर्त बताये गये हैं, जो सुबह 11:44 बजे से दोपहर 3:35 बजे तक रहेंगे। इस अवधि में किसी भी समय पूर्वजों के लिए पूजा, तर्पण, दान आदि किया जा सकता है।
सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि पितरों का तर्पण करने का खास दिन होता है। पितृ पक्ष के दौरान आश्विन माह की अमावस्या तिथि को महालया अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है। इस दिन पितरों को तर्पण देते हुए उन्हें तरह-तरह के पकवान बनाकर उन्हें तृप्त किया जाता है।
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