Hindi Newsधर्म न्यूज़Skanda Purana ancestors are pleased by offering these things on Shani or Mauni Amavasya

स्कन्द पुराण के अनुसार शनि या मौनी अमावस्या पर पितृ इन चीजों का तर्पण करने से होते हैं प्रसन्न

इस तिथि पर चुप रहकर अर्थात मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए स्‍नान करने के विशेष महत्‍व के कारण ही माघ मास के कृष्‍णपक्ष की अमावस्‍या तिथि मौनी अमावस्‍या कहलाती है। माघ मास में गोचर करते ह

Anuradha Pandey पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली, नई दिल्लीSat, 21 Jan 2023 05:58 AM
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इस तिथि पर चुप रहकर अर्थात मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए स्‍नान करने के विशेष महत्‍व के कारण ही माघ मास के कृष्‍णपक्ष की अमावस्‍या तिथि मौनी अमावस्‍या कहलाती है। माघ मास में गोचर करते हुए भुवन भास्कर भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो ज्‍योतिष शास्‍त्र में उस काल को मौनी अमावस्‍या कहा जाता हैं।

शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रखना, गंगा स्नान करना और दान देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। अमावस्या के विषय में कहा गया है कि इस दिन मन, कर्म तथा वाणी के जरिए किसी के लिए अशुभ नहीं सोचना चाहिए। केवल बंद होठों से " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, नम: तथा "ॐ नम: शिवाय " मंत्र का जप करते हुए अर्घ्‍य देने से पापों का शमन एवं पूण्य की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्‍या के दिन गंगा स्‍नान के पश्‍चात तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, वस्‍त्र, अंजन, दर्पण, स्‍वर्ण और दूध देने वाली गाय का दान करने से विशेष पुण्‍य की प्राप्ति होती है। तथा शनि कृत्य अशुभ फलों का समापन होता है। 

पद्मपुराण में मौनी अमावस्या के महत्त्व को बताया गया है कि माघ के कृष्णपक्ष की अमावस्या को सूर्योदय से पहले जो तिल और जल से पितरों का तर्पण करता है वह स्वर्ग में अक्षय सुख भोगता है। तिल का गौ बनाकर सभी सामग्रियों समेत दान करता है वह सात जन्मों के पापों से मुक्त हो स्वर्ग का सुख भोगता है। प्रत्येक अमावस्या का महत्व अधिक है लेकिन मकरस्थ रवि अर्थात मकर राशि मे सूर्य के होने के कारण ही इस अमावस्या का महत्व अधिक है।

स्कन्द पुराण के अनुसार जो लोग भी पितरों के मुक्ति के उद्देश्य से भक्ति पूर्वक गुड़, घी और तिल के साथ मधु युक्त खीर गंगा में डालते हैं उनके पितर सौ वर्ष तक तृप्त बने रहते हैं। वह परिजन के कार्य से संतुष्ट होकर संतानों को नाना प्रकार के मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। गंगा तट पर एक बार पिंडदान करने और तिल मिश्रित जल के द्वारा तर्पण से अपने पितरों को भव से उद्धार कर देता है।

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