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कब रखा जाएगा श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत, नोट कर लें डेट, महत्व और पढ़ें व्रत कथा

sawan putrada ekadashi : इस समय सावन का पावन महीना चल रहा है। सावन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 27 Aug 2023 07:18 AM
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इस समय सावन का पावन महीना चल रहा है। सावन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस साल  पुत्रदा एकादशी 27 अगस्त, 2023 को है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं।

मुहूर्त- 

  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 27, 2023 को 12:08 ए एम बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त - अगस्त 27, 2023 को 09:32 पी एम बजे
  • पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 28 अगस्त को 05:57 ए एम से 08:31 ए एम तक

एकादशी व्रत महत्व

  • इस पावन दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। 
  • इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
  • यह व्रत संतान के लिए भी रखा जाता है।
  • इस व्रत को करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति भी होती है।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा- पुत्रदा एकादशी की कथा द्वापर युग के महिष्मती नाम के राज्य और उसके राजा से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिष्मती नाम के राज्य पर महाजित नाम का एक राजा शासन करता था। इस राजा के पास वैभव की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। जिस कारण राजा परेशान रहता था। राजा अपनी प्रजा का भी पूर्ण ध्यान रखता था। संतान न होने के कारण राजा को निराशा घेरने लगी। तब राजा ने ऋषि मुनियों की शरण ली। इसके बाद राजा को एकादशी व्रत के बारे में बताया गया है। राजा ने विधि पूर्वक एकादशी का व्रत पूर्ण किया और नियम से व्रत का पारण किया। इसके बाद रानी ने कुछ दिनों गर्भ धारण किया और नौ माह के बाद एक सुंदर से पुत्र को जन्म दिया। आगे चलकर राजा का पुत्र श्रेष्ठ राजा बना।

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