Sawan Putrada Ekadashi : पुत्रदा एकादशी व्रत से संतान के सारे कष्ट होते हैं दूर
Sawan Putrada ekadashi : पुत्रदा एकादशी 27 अगस्त को है। श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। संतानहीन लोगों के लिए यह व्रत शुभफलदायी माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार आता है। पहली पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह एकादशी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिसंबर या जनवरी में आती है। वहीं दूसरी पुत्रदा एकादशी का व्रत सावन महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। सावन माह में पड़ने वाली एकादशी का बहुत महत्व होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। संतानहीन लोगों के लिए यह व्रत शुभफलदायी माना जाता है। इसके अलावा यदि संतान को किसी प्रकार का कष्ट है तो इस व्रत रखने से सारे कष्ट दूर होते हैं। इस बार पुत्रदा एकादशी 27 अगस्त को मनाई जाएगी।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा- पुत्रदा एकादशी की कथा द्वापर युग के महिष्मती नाम के राज्य और उसके राजा से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिष्मती नाम के राज्य पर महाजित नाम का एक राजा शासन करता था। इस राजा के पास वैभव की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी। जिस कारण राजा परेशान रहता था। राजा अपनी प्रजा का भी पूर्ण ध्यान रखता था। संतान न होने के कारण राजा को निराशा घेरने लगी। तब राजा ने ऋषि मुनियों की शरण ली। इसके बाद राजा को एकादशी व्रत के बारे में बताया गया है। राजा ने विधि पूर्वक एकादशी का व्रत पूर्ण किया और नियम से व्रत का पारण किया। इसके बाद रानी ने कुछ दिनों गर्भ धारण किया और नौ माह के बाद एक सुंदर से पुत्र को जन्म दिया। आगे चलकर राजा का पुत्र श्रेष्ठ राजा बना।
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