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Sarva Pitru Amavasya 2022 : पितृ विसर्जन पर सर्वार्थ सिद्धि योग है महा पुण्यदायी, ज्योतिषाचार्य से जानें सबकुछ

Sarva Pitru Amavasya 2022 : पितृ विसर्जन का पर्व आज रविवार को मनाया जाएगा। इसकी तैयारी में लोग शनिवार से ही लग गए थे। कुश, तिल, पिन्डदान व श्राद्ध के सामानों की व्यवस्था लोगों ने दिनभर में कर लिया।

Yogesh Joshi संवाददाता, जौनपुरSun, 25 Sep 2022 07:10 AM
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पितृ विसर्जन का पर्व आज रविवार को मनाया जाएगा। इसकी तैयारी में लोग शनिवार से ही लग गए थे। कुश, तिल, पिन्डदान व श्राद्ध के सामानों की व्यवस्था लोगों ने दिनभर में कर लिया। ज्योतिष व कर्मकांड के विद्वानों के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ रहा पितृ विसर्जन पर्व महा पुण्यदायी माना गया है।

आश्विन मास की अमावस्या (रविवार) को लोग अपने पितरों को तर्पण व पिंडदान देकर उनकी विदाई करेंगे। घरों में अच्छे अच्छे पकवान बनाकर दोनियां निकाली जाएगी। कर्मकांड के विद्वान व ज्योतिषाचार्य पं.ओंकार नाथ दुबे मकरा का कहना है कि रविवार को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण सिर्वार्थ सिद्धि नामक योग बन रहा है। शास्त्रों में इसकी बहुत बड़ी महिमा है।

इस योग में तीर्थ-स्नान, दान, जप एवं ब्राह्मणों को भोजन, अन्न, वस्त्रादि का दान व श्राद्ध करने का विशेष महात्म्य माना गया है। यह पुण्य योग सूर्योदय से लेकर रात पर्यन्त तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं.ओंकार नाथ दुबे मकरा के अनुसार सर्वपितृ श्राद्ध के दिन ज्ञात-अज्ञात तिथियों में मृतकजनों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने से पितरों की शांति तथा श्राद्धकर्ता के घर में सुख-शांति एवं पारिवारिक सौभाग्य में वृद्धि होती है।

इस दिन ब्राह्मण भोजन, दानादि के बाद गौ ग्रास देना शुभ होता है। श्राद्ध के दौरान तुलसी, आम और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सूर्य देवता को सूर्योदय के समय अर्ध्य दें। सांयकाल गृहद्वार के बाहर दीप प्रज्ज्वलित कर श्रद्धा पूर्वक पितरों का विसर्जन करना चाहिए। ब्रह्मपुराण के अनुसार पितृ अमावस्या में पवित्र होकर यत्न पूर्वक श्राद्ध करने से मनुष्य की समस्त अभिलाषाएं पूरी होती हैं।

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