Sakat Chauth Puja : कुछ ही देर में होगा चांद का दीदार, व्रती तोड़ेगी व्रत, नोट कर लें संपूर्ण पूजा-विधि, कथा
sakat chauth vrat puja vidhi katha chand kab dikhega moon rise : इस त्योहार का महत्व अधिक बढ़ गया है। इस दिन व्रत पूजन करने से भगवान गणेश सभी माताओ को संतान की दीर्घायु और सुख समृद्धि का वरदान देंगे।
Sakat Chauth Vrat : माघ मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी में मनाए जाने वाला सकट चौथ का पावन पर्व इस बार अत्यंत मंगलकारी संयोगो में मनाया जा रहा है। पंचांगों के अनुसार सकट चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी को सुबह छह बजकर 10 मिनट से हो गई है। अगले दिन इसका समापन 30 जनवरी को सुबह आठ बजकर 54 मिनट पर होगा। इस बार सकट चौथ शोभन और त्रिग्रही योग के संयोग में मनाई जा रही है। इस कारण इस त्योहार का महत्व अधिक बढ़ गया है। इस दिन व्रत पूजन करने से भगवान गणेश सभी माताओ को संतान की दीर्घायु और सुख समृद्धि का वरदान देंगे। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ से भगवान गणेश जीवन में सभी तरह बाधाएं को दूर करते हैं। आज चांद का दीदार नई दिल्ली में लगभग 9 बजकर 10 मिनट में होगा। देश के अलग-अलग स्थानों में चंद्रोदय का टाइम अलग-अलग होता है।
सकट चतुर्थी के दिन कथा सुनने का महत्व है पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार देवों के देव महादेव ने शिवजी अपने पुत्र कार्तिकेय व गणेश से पूछा कि आप में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने कहा कि तुम दोनों में से जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा। वही देवताओं की मदद करने जाएगा। यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। परन्तु गणेशजी अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता की सात परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजयी बताया। शिवजी ने गणेशजी से पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा तब गणेश जी ने कहा माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं। यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी और गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा श्रद्धा पूर्वक पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
पूजा-विधि:
- शाम को सकट माता की विधिवत पूजा करें।
- चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
- सकट चौथ व्रत की कथा का पाठ करें।
- इसके बाद व्रत पारण करें।
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