आज चांद कब निकलेगा: दिल्ली में नहीं निकला चांद, क्या आपके शहर में निकला चांद?, कुछ देर का इंतजार, आज तिलकुटा सकट चौथ पर चंद्रमा सिंह राशि में
Moonrise time 29 January Sakat Chauth :तिलकुटा सकट चौथ यानी संतान की लंब आयु के लिए किया जाने वाला व्रत। इस साल सकट चौथ सोमवार को मानाया जाएगा, चंद्र दर्शन का समय रात को नौ बजे के बाद होगा।
29 January chand kab niklega- तिलकुटा सकट चौथ यानी संतान की लंब आयु के लिए किया जाने वाला व्रत। इस साल सकट चौथ आज सोमवार को मानाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे और इसके बाद कन्या राशि में चले जाएंगे। चंद्रमा की ग्रहों की स्थिति अच्छी है। सकट चौथ पर सवार्थ सिद्धि योग है, इसके अलावा शिवजी का दिन पड़ने से इस व्रत का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। आज महिलाएं निर्जला व्रत रखकर और अब से कुछ देर में चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देंगी और व्रत का पारण करेंगी।
कब होंगे चंद्र दर्शन
इस व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत रहती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा। चंद्रमा को अर्घ्य देकर उनकी आरती उतारी जाती है और फिर परिक्रमा करके चंद्रमा के दर्शन किए जाते हैं। आप भी अगर सकट चौथ का व्रत कर रही हैं, तो आपको बता दें कि नीचे दिए शहरों में रहने वाले लोगों को चंद्र दर्शन का समय रात को नौ बजे के बाद होगा। कई-कई शहरों में चंद्र दर्शन 9 बजे भी पहले हो जाएंगे।
पटना-8:45
लखनऊ- 08:55
वाराणसी- 09:18
गाजियाबाद- 09:09
प्रयागराज- 09:20
मेरठ-09:15
जयपुर 9:32 बजे
मुंबई-9:17 बजे
दिल्ली-9.10 मिनट
नोएडा-9.09 मिनट
गाजियाबाद-9.09 मिनट
कानपुर: रात 08 बजकर 58 मिनट पर
प्रयागराज: रात 08 बजकर 52 मिनट पर
मेरठ- रात 9.08 बजे
वाराणसी रात 08.48
आगरा रात 09.07
अलीगढ़- रात 9.07 बजे
मथुरा- रात 9.10 बजे
झांसी : रात 9 बजकर 07 मिनट पर
बरेली : 09 बजकर 01 मिनट पर
गोरखपुर : 08 बजकर 53 मिनट पर
अलवर में चांद निकलने का समय- -9.13
कोटा में चांद निकलने का समय- 21:17 बजे
जैसलमेर में चांद निकलने का समय- 21:37 बजे
उदयपुर में चांद निकलने का समय- 21:26 बजे
सीकर में चांद निकलने का समय- 21:19 बजे
भागलपुर - रात 20:31 बजे
पटना - रात 20:39 बजे
रांची में चांद रात 8:39 बजे
जमशेदपुर में चांद रात 8:35 बजे
बोकारो में चांद रात 8:35 बजे
घर की बुजुर्ग महिलाओं को दिया जाता है बायना और इस तरह की जाती है पूजा
सबसे पहले चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी को बिठाया जाता है। इसके बाद फूल, रौली और दीपक जलाकर पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं तिल को कूटकर से गुड़ में मिलाकर उसका प्रसाद बनाती हैं। इसके बाद इस का प्रतीकात्मक बकरा बनाया जाता है और सिक्के से बच्चों द्वारा इसे गिराते हैं। इसके साथ ही माताएं अपनी सास और घर की बड़ी बुजर्गों को सुहाग का सामान, वस्त्र, मिठाई और पैसे आदि बायने के तौर पर देती हैं और उनका आशीर्वाद ग्रहण करती हैं।
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