Safla Ekadashi Vrat : सफला एकादशी व्रत दिलाता है हर कार्य में सफलता
safla ekadashi vrat 2022 date puja : आचार्य संजय पाठक ने बताया कि ऐसी मान्यता मान्यता है कि सफला एकादशी का व्रत अपने नाम स्वरूप फल प्रदान करता है। इसके प्रभाव से हर कार्य सफल हो जाते हैं।
इस माह में साल की आखिरी एकादशी यानी की पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया जाएगा। इसे सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। आचार्य संजय पाठक ने बताया कि ऐसी मान्यता मान्यता है कि सफला एकादशी का व्रत अपने नाम स्वरूप फल प्रदान करता है। इसके प्रभाव से हर कार्य सफल हो जाते हैं। श्रीहरि वष्णिु की कृपा से तमाम अधूरी इच्छाएं पूर्ण होती है।
सफला एकादशी का व्रत इस साल 19 दिसंबर को है। उन्होंने आगे बताया कि पुद्मपुराण के अनुसार चंपावती नगरी के राजा महष्मिान का राज था। राजा के पांच पुत्र थे जिसमें सबसे बड़ा बेटा लुंभक चरत्रिहीन था। वह हमेशा पाप कर्मों में लप्ति रहता था। नशा करना,तामसिक भोजन करना,वैश्यावृति,जुआं और देवताओं की निंदा करना उसकी आदत बन चुकी थी। राजा ने परेशान होकर उसे राज्य से बेदखल कर दिया। पिता ने राज्य से बाहर निकाल दिया तो लुंभक जंगल में रहने लगा।
एक बार भीषण ठंडी की वजह से वह रात में सो नहीं पाया। रातभर ठंड में कांपता रहा जिसके कारण वह मूर्छित हो गया। उस दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि थी। अगले दिन जब होश आया तो अपने पाप कर्मों पर पछतावा हुआ और उसने जंगल से कुछ फल इक्ट्ठा किए और पीपल के पेड़ के पास रखकर भगवान वष्णिु का स्मरण किया। इस सर्द रात को भी उसे नींद नहीं आई वह जागरण कर श्रीहरि की आराधना में लप्ति था। सफला एकादशी व्रत के प्रभाव से उसने धर्म का मार्ग अपना लिया और सत्कर्म करने लगा। राजा महष्मिान को जब इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने लुंभक को राज्य में वापस बुलाकर राज्य की जम्मिेदारी सौंप दी। कहते हैं तभी से सफला एकादशी का व्रत किया जाता है। ये सर्वकार्य सद्धि करने वाली एकादशी मानी जाती है।
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