Pradosh Vrat : मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत आज, नोट कर लें पूजा- विधि और शुभ मुहूर्त
Pradosh Vrat Kab Hai Date Time: इस समय मार्गशीर्ष माह चल रहा है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं।
Pradosh Vrat Kab Hai : इस समय मार्गशीर्ष माह चल रहा है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत भोले शंकर को समर्पित होता है। मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। आइए जानते हैं मार्गशीर्ष माह के पहले प्रदोष व्रत की डेट, महत्व, पूजा- विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट....
मार्गशीर्ष माह में प्रदोष व्रत डेट-
कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 21 नवंबर को है। 21 नवंबर को सोमवार है, इसलिए इस प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा।
मुहूर्त-
मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ - 10:07 ए एम, नवम्बर 21
मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त - 08:49 ए एम, नवम्बर 22
प्रदोष काल- 05:15 पी एम से 07:56 पी एम
प्रदोष काल-
- प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत का महत्व
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है।
- प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है।
- इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव है तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव की आरती करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
प्रदोष व्रत पूजा- सामग्री
- अबीर
- गुलाल
- चंदन
- अक्षत
- फूल
- धतूरा
- बिल्वपत्र
- जनेऊ
- कलावा
- दीपक
- कपूर
- अगरबत्ती
- फल
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