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पुत्रदा एकादशी आज, व्रत रखकर श्रद्धालु करेंगे पुत्र प्राप्ति एवं दीर्घायु की कामना

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। यह तिथि विष्णु को प्रिय होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। हर माह में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है।

Yogesh Joshi निज संवाददाता, पावापुरीSun, 21 Jan 2024 08:03 AM
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Paush Putrada Ekadashi Vrat : हिंदू धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है। पुत्रदा एकादशी रविवार को श्रद्धालु व्रत को रखेंगे। एक साल में दो बार पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। पहला व्रत पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है, तो दूसरा व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।

पंडित पप्पू पांडेय ने बताया कि इस व्रत को करने से व्रती को कई तरह के अद्भुत लाभ मिलते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार मुख्य रूप से पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है। ऐसे में जो लोग नि:संतान हैं, उनको यह व्रत जरूर रखना चाहिए। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। इस व्रत में जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। मान्यता है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल मिलता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मुख्य रूप से पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए ही रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजा विधि : पौष पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करें। फिर धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन, रात को दीपदान करें। साथ ही एकादशी की सारी रात जागरण कर भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें और श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगें। अगली सुबह स्नान करके पुनः भगवान विष्णु की पूजा करें। ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद खुद भोजन ग्रहण करें।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व : इस व्रत को करने से श्रीहरि विष्णु के अलावा मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई जातक इस व्रत को विधि पूर्वक करता है, तो जल्द ही उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा लंबे समय से रुके हुए काम पूरे होते हैं। पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पारण सोमवार की सुबह सात बजकर 14 मिनट से प्रातः नौ बजकर 21 मिनट तक किया जाएगा।

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