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Navratri 2021 : नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना के बाद जरूर पढ़ें मां शैलपुत्री की ये कथा, मिलेगा व्रत का फल

Navratri : नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है और अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। नवरात्रि का पावन पर्व 9 दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा-...

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीThu, 7 Oct 2021 03:29 AM
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Navratri : नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है और अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। नवरात्रि का पावन पर्व 9 दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण माता का नाम शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ, इसलिए इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। मां को वृषारूढ़ा, उमा नाम से भी जाना जाता है। उपनिषदों में मां को हेमवती भी कहा गया है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। जो लोग पाठ नहीं कर सकते हैं उन्हें इस कथा को सुनना चाहिए।

मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा-

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनका वाहन वृषभ (बैल) है। शैल शब्द का अर्थ होता है पर्वत। शैलपुत्री को हिमालय पर्वत की बेटी कहा जाता है। इसके पीछे की कथा यह है कि एक बार प्रजापति दक्ष (सती के पिता) ने यज्ञ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया। दक्ष ने भगवान शिव और सती को निमंत्रण नहीं भेजा। ऐसे में सती ने यज्ञ में जाने की बात कही तो भगवान शिव उन्हें समझाया कि बिना निमंत्रण जाना ठीक नहीं लेकिन जब वे नहीं मानीं तो शिव ने उन्हें इजाजत दे दी।

जब सती पिता के यहां पहुंची तो उन्हें बिन बुलाए मेहमान वाला व्यवहार ही झेलना पड़ा। उनकी माता के अतिरिक्त किसी ने उनसे प्यार से बात नहीं की। उनकी बहनें उनका उपहास उड़ाती रहीं। इस तरह का कठोर व्यवहार और अपने पति का अपमान सुनकर वे क्रुद्ध हो गयीं। क्षोभ, ग्लानि और क्रोध में उन्होंने खुद को यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया। यह समाचार सुन भगवान शिव ने अपने गुणों को भेजकर दक्ष का यज्ञ पूरी तरह से विध्वंस करा दिया।  अगले जन्म में सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।

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