Kalash Ki Sthapna: नवरात्रि में कलश स्थापना बेहद जरूरी, जान लें कलश स्थापना की सही विधि और अभिजीत मुहूर्त
Navratri Kalash Sthapana: नवरात्रि पूजन की अपनी पारंपरिक विधि है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना और कलश स्थापना घर पूजा की शुरुआत की जाती है।
नवरात्रि कलश स्थापना: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है धार्मिक मान्यताओं में नवरात्रि विशेष महत्व रखती है। इन नौ दिनों माता दुर्गा की विधिवत पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं, नवरात्रि पूजन की अपनी पारंपरिक विधि है। मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना और कलश स्थापना घर पूजा की शुरुआत की जाती है। नवरात्रि में कलश स्थापना विशेष महत्व रखता है। इसलिए आइए जानते हैं नवरात्रि कलश स्थापना की सही विधि और शुभ मुहूर्त-
नवरात्रि शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का मुहूर्त- 15 अक्टूबर, 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक
घटस्थापना तिथि - रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना मुहूर्त- प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक रहेगा
घटस्थापना का महत्व
नवरात्रि में घट स्थापना का बड़ा महत्व है। कलश में हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, पांच प्रकार के पत्तों से कलश को सजाया जाता है। कलश के नीचे बालू की वेदी बनाकर जौ बोए जाते हैं। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।
कलश स्थापना की सही विधि
सबसे पहले पूजा स्थान की गंगाजल से शुद्धि करें। अब हल्दी से अष्टदल बना लें। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक मिट्टी या तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में साफ पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। अब इस कलश के पानी में सिक्का, हल्दी, सुपारी, अक्षत, पान, फूल और इलायची डालें। फिर पांच प्रकार के पत्ते रखें और कलश को ढक दें। इसके बाद लाल चुनरी में नारियल लपेट कलश के ऊपर रख दें।
पूजा-विधि
1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
2- दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।
4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
5- घट और कलश स्थापित करें।
6- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
7- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
8- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
9- पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
10- अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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