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Navratri : 9 अप्रैल से नवरात्रि, ज्योतिषाचार्य से जानें कलश स्थापना का टाइम, विधि, मां का पसंदीदा रंग, भोग प्रसाद से लेकर सबकुछ

Navratri 2024 : नौ अप्रैल मंगलवार को कलश स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र शुरू होगी। इसके साथ ही हिंदू नव वर्ष भी प्रारंभ होगा। चैत्र नवरात्र हिंदू नव वर्ष के प्रथम दिन से प्रारंभ होती है।

Yogesh Joshi हिन्दुस्तान टीम, सीतामढ़ीTue, 9 April 2024 08:43 AM
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Navratri :  नौ अप्रैल मंगलवार को कलश स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र शुरू होगी। इसके साथ ही हिंदू नव वर्ष भी प्रारंभ होगा। चैत्र नवरात्र हिंदू नव वर्ष के प्रथम दिन से प्रारंभ होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को सुख समृद्धि और धन की देवी कहा जाता है। 15 अप्रैल को महासप्तमी है। इस दिन रात में निशा पूजा होगी। 16 अप्रैल को महाअष्टमी की पूजा होगी। वहीं, 17 अप्रैल को रामनवमी है। 18 अप्रैल को प्रतिमा विसर्जित की जाएगी।

कलश स्थापना की विधि : पंडित मदन मोहन झा ने बताया कि कलश की स्थापना पूजा स्थल पर उत्तर पूर्व दिशा में करनी चाहिए। माता की चौकी लगाकर कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले उस जगह को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लेना चाहिए। उसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेटकर रखें। चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखे। लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दे। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करे। हाथ में लाल फूल और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करके मंत्र जाप करें और फूल व अक्षत मां के चरणों में अर्पित कर दें। मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाए गाय के घी से बने होने चाहिए या सिर्फ गाय के घी चढ़ाने से भी बीमारी और संकट से छुटकारा मिलता है।

नवरात्र में ही होता है चैती छठ : चैत्र नवरात्रि के दौरान ही चैती छठ भी पड़ता है। चैती छठ करने वाले श्रद्धालु चैत्र शुक्ल चतुर्थी 12 अप्रैल को नहाए-खाए के साथ चार दिवसीय निर्जला छठ व्रत का अनुष्ठान शुरू करेंगे। 13 अप्रैल को खरना होगा। चैत शुक्ल षष्ठी तिथि 14 अप्रैल को अस्ताचलगामी सूर्य को श्रद्धालु अर्घ्य देंगे। सप्तमी तिथि 15 अप्रैल को उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व चैती छठ का समापन होगा।

मां का पसंदीदा रंग : पंडित मदन मोहन झा ने बताया कि मां शैलपुत्री को पीले रंग के परिधान, माता ब्रह्मचारिणी को हरा रंग, मां चंद्रघंटा को पीला या हरा, मां कुष्मांडा को नारंगी, स्कंदमाता को सफेद, कात्यायनी को लाल रंग, मां कालरात्रि को नीला, महागौरी को गुलाबी और मां के नौवे रूप मां सिद्धिदात्री को बैगनी रंग के परिधान पहनाया जाता है। मां के रूप के अनुरूप परिधान और भोग लगाकर मां का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

नवरात्रि में मां के नौ रूप और भोग प्रसाद :

- प्रतिपदा शैलपुत्री - दूध, शहद, घी, फल और नारियल

- दूसरा ब्रह्मचारिणी - मिश्री, दूध और पंचामृत

- तीसरा चंद्रघंटा - खीर, दही आदि

- चौथा कुष्मांडा - हरा फल, अंकुरित अनाज, मालपुआ, इलाइची

- पांचवा स्कंदमाता - अनार, छुहारा व किशमिश

- छठा कात्यायनी - शहद और उससे निर्मित खाद्य पदार्थ

- सातवां कालरात्रि - गुड और गुड़ से बने पकवान

- आठवां महागौरी - नारियल, लक्ष्मी वृद्धि के लिए अनार

- नौवां सिद्धिदात्री - गुलगुला, मालपुआ, हलवा, पुड़ी

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