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Navratri 2020 5th Day: स्कंदमाता की इस आरती के बिना अधूरी मानी जाती है पूजा, पढ़ें यहां कवच और स्तोत्र पाठ

नवरात्रि के पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में स्कंदमाता को सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी...

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीWed, 21 Oct 2020 07:58 AM
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नवरात्रि के पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में स्कंदमाता को सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। कहते हैं जो भक्त सच्चे मन और विधि-विधान से स्कंदमाता की पूजा करते हैं उन्हें मोक्ष और ज्ञान की प्राप्ति होती है। 

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, स्कंदमाता की पूजा के दौरान स्तोत्र पाठ, कवच और आरती पढ़ने या सुनने से मन की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। माना जाता है कि भक्त पर स्कंदमाता हमेशा अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं। जानिए स्कंदमाता की आरती, कवच और स्तोत्र पाठ-

स्तोत्र पाठ

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।

समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥

शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।

ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥

महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।

सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥

अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।

मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥

नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।

सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥

सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।

शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥

तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।

सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥

सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।

प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥

स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।

अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥

पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।

जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥

कवच

ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा।

हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥

श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।

सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥

वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता।

उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥

इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।

सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

स्‍कंदमाता की आरती

जय तेरी हो अस्कंध माता

पांचवा नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी

जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहू मै

हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै

कई नामो से तुझे पुकारा

मुझे एक है तेरा सहारा

कही पहाड़ो पर है डेरा

कई शेहरो मै तेरा बसेरा

हर मंदिर मै तेरे नजारे

गुण गाये तेरे भगत प्यारे

भगति अपनी मुझे दिला दो

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इन्दर आदी देवता मिल सारे

करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये

तुम ही खंडा हाथ उठाये

दासो को सदा बचाने आई

'भक्त' की आस पुजाने आई

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