Mokshda Ekadashi vrat katha hindi: यहां पढ़ें मोक्षदा एकादशी व्रत की Kahani और व्रत के पारण के नियम
Read Mokshda Ekadashi vrat katha:इस साल 22 और 23 दिसंबर दोनों दिन एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। अगर आप भी एकादशी का व्रत रखते हैं, आपको एकादशी व्रत के नियमों को भी अच्छे से मानना चाहिए। दरअसल एकादशी व
इस साल 22 और 23 दिसंबर दोनों दिन एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। अगर आप भी एकादशी का व्रत रखते हैं, आपको एकादशी व्रत के नियमों को भी अच्छे से मानना चाहिए। दरअसल एकादशी व्रत दशमी तिथि की शाम से ही शुरू हो जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी को नियमों के मुताबिक ही करना चाहिए छ व्रत का पारण द्वादशी तिथि के खत्म होने से पहले कर लेना चाहिए। पारण में किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर खुद भोजन ग्रहण करना चाहिए। व्रत का पारण चावल या फिर आंवला से करना चाहिए, इस दिन भूलकर भी बैंगन, मसूर, उड़द की दाल और मूली का सेवन नहीं करना चाहिए।और एकादशी तिथि के दिन भी व्रत कथा पढ़कर पूजन करना चाहिए-
कथा-महाराज युधिष्ठिर ने कहा- हे भगवन! आप तीनों लोकों के स्वामी, सभीको सुख देने वाले और जगत के पति हैं। मैं आपको नमस्कार करता हूं। हे देव! आप सबके सखा हैं अत: मेरे संशय को दूर कर मुझे बताइए कि मार्गशीर्ष एकादशी का क्या नाम है?
उस दिन कौन से देवता का पूजन किया जाता है और उसकी क्या विधि है? कृपया कर मुझे बताएं। भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि धर्मराज, तुमने बड़ा ही उत्तम प्रश्न किया है। इसके सुनने से तुम्हारा यश संसार में फैलेगा। मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी अनेक पापों को नष्ट करने वाली है। इसका नाम मोक्षदा एकादशी है।
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान के दामोदर रुप की पूजा की जाती है। इसके पीछे की कथा है कि गोकुल नाम के नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में चारों वेदों के जानने वाले ब्राह्मण रहते थे। वह राजा अपनी प्रजा का अपनी संतान की तरह लालन- पालन करता था। एक बार रात में राजा ने एक सपना देखा कि उसके पिता नरक में चले गए हैं। यह सोचकर उसे बहुत अचंभा हुआ।
सुबह उठकर वह विद्वान ब्राह्मणों के पास गया और अपना सपना सुनाया और कहा कि मैंने अपने पिता को नरक में कष्ट उठाते देखा है। उन्होंने मुझसे कहा कि हे पुत्र मैं नरक में पड़ा हूं। यहां से तुम मुझे मुक्त कराओ। जब से मैंने ये वचन सुने हैं तब से मैं बहुत बेचैन हूं। मुझे इस राज्य, धन, पुत्र, स्त्री, हाथी, घोड़े आदि में कुछ भी सुख नहीं लग रहा है।
राजा ने कहा- हे ब्राह्मण देवताओं! इस दु:ख के कारण मेरा सारा शरीर जल रहा है। अब आप कृपा करके कोई तप, दान, व्रत आदि ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। उस पुत्र का जीवन व्यर्थ है जो अपने माता-पिता का उद्धार न कर सके। एक उत्तम पुत्र जो अपने माता-पिता और पूर्वजों का उद्धार करता है, वह हजार मुर्ख पुत्रों से अच्छा है। जैसे एक चंद्रमा सारे जगत में प्रकाश कर देता है, परंतु हजारों तारे नहीं कर सकते। ब्राह्मणों ने कहा- हे राजन! यहां पास ही भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है। आपकी समस्या का हल वे जरूर करेंगे।
ऐसा सुनकर राजा मुनि के आश्रम पर गया। उस आश्रम में अनेक शांत चित्त योगी और मुनि तपस्या कर रहे थे। उसी जगह पर्वत मुनि बैठे थे। राजा ने मुनि को साष्टांग दंडवत किया। मुनि ने राजा से सांगोपांग कुशल पूछी। राजा ने कहा कि महाराज आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशल हैं, लेकिन अकस्मात मेरे चित में अत्यंत अशांति होने लगी है। ऐसा सुनकर पर्वत मुनि ने आंखें बंद की और राजा के भूत के बारे में विचार करने लगे। फिर बोले हे राजन! मैंने योग के बल से तुम्हारे पिता के कुकर्मों को जान लिया है। उन्होंने पूर्व जन्म में कामातुर होकर एक पत्नी को रति दी किंतु सौत के कहने पर दूसरे पत्नी को ऋतुदान मांगने पर भी नहीं दिया। उसी पापकर्म के कारण तुम्हारे पिता को नर्क में जाना पड़ा।
तब राजा ने कहा इसका कोई उपाय बताइए। मुनि बोले- हे राजन! आप मार्गशीर्ष एकादशी का उपवास करें और उस उपवास के पुण्य को अपने पिता को संकल्प कर दें। इसके प्रभाव से आपके पिता की अवश्य नर्क से मुक्ति होगी। मुनि के ये वचन सुनकर राजा महल में आया और मुनि के कहने अनुसार कुटुम्ब सहित मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। इसके उपवास का पुण्य उसने पिता को अर्पण कर दिया। इसके प्रभाव से उसके पिता को मुक्ति मिल गई और स्वर्ग में जाते हुए वे पुत्र से कहने लगे- हे पुत्र तेरा कल्याण हो। यह कहकर स्वर्ग चले गए। इसलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। जो लोग मोक्षदा एकादशी का व्रत करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।