मौनी या शनि अमावस्या आज, इस विधि से करें पूजा- अर्चना, यहां देखें शुभ मुहूर्त और शनि देव को प्रसन्न करने का आसान उपाय
mauni magh shani amavasya 2023 : हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में एक बार अमावस्या पड़ती है। शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में एक बार अमावस्या पड़ती है। शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है। शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। ज्योतिषशास्त्र में शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित जातकों के लिए शनि अमावस्या का दिन शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। 21 जनवरी को शनि अमावस्या है। आइए जानते हैं शनि अमावस्या पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट-
पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।
- शनि अमावस्या पर शनिदेव की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है।
- शनि देव को तेल अर्पित करें।
- इस दिन पितर संबंधित कार्य भी किए जाते हैं।
- पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
- इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
- इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।
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मुहूर्त
- माघ, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ - 06:32 ए एम, जनवरी 21ॉ
- माघ, कृष्ण अमावस्या समाप्त - 02:37 ए एम, जनवरी 22
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिदेव की आरती जरूर करें-
आरती शनिदेव की-
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
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