Kedarnath: केदारनाथ धाम के कपाट खुले, समाधि से जागे बाबा भोलेनाथ; शैव लिंगायत विधि से होती है पूजा
Kedarnath Mandir: बाबा केदारनाथ छह महीने समाधि में रहते हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के अंतिम दिन चढ़ावे के बाद सवा क्विंटल भभूति चढ़ाई जाती है। कपाट खुलने के साथ ही बाबा केदारनाथ समाधि से जागते हैं।
विश्व प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोचार और विधि विधान के साथ आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग और मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने प्रसासन एवं बीकेटीसी के अधिकारियों व हक हकूकधारियों की मौजूदगी में मंदिर का द्वार खोला। सुबह 7:00 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही भक्तों के जय बाबा केदार के जयकारों के साथ दर्शन शुरू हुए। कपाट खोलने के मौके पर हेलीकॉप्टर द्वारा मंदिर में फुल बरसाए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने धाम पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किए।
समाधि से बाहर आ गए बाबा केदारनाथ-
मान्यता है कि बाबा केदारनाथ छह महीने समाधि में रहते हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के अंतिम दिन चढ़ावे के बाद सवा क्विंटल भभूति चढ़ाई जाती है। कपाट खुलने के साथ ही बाबा केदारनाथ समाधि से जागते हैं। इसके बाद भक्त दर्शन करते हैं।
शैव लिंगायत विधि से बाबा केदारनाथ की पूजा-अर्चना
देश-दुनिया में प्रसद्धि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का इंतजार भक्तों को उत्सुकता से रहता है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर बाबा केदारनाथ की विधिवत पूजा की जाती है। हालांकि उत्तर भारत में पूजा का तरीका थोड़ा अलग है, लेकिन बाबा केदारनाथ में पूजा दक्षिण की वीर शैव लिंगायत विधि से होती है। मंदिर के गद्दी पर रावल विराजते हैं, जिन्हें प्रमुख भी कहा जाता है। मंदिर में रावल के शिष्य पूजन करते हैं। रावल यानी पुजारी, जो कर्नाटक से ताल्लुक रखते हैं।
श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुलेंगे
श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुल रहे हैं। श्री बदरीनाथ धाम से संबंधित पांच दशक पहले समाप्त हुई रावल पट्टाभिषेक की ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होने से बदरी-केदार मंदिर समिति के पदाधिकारियों समेत लोगों ने खुशी जताई है। इस साल श्री बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी का पट्टाभिषेक किया गया। इससे पहले वर्ष 1977 में रावल टी केशवन नंबूदरी का पट्टाभिषेक हुआ था। इसके बाद यह परंपरा रुक गई थी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।