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Hindi Newsधर्म न्यूज़Jivitputrika Vrat 2023: When is Jitiya Vrat in October Know pujan muhurat vidhi and paran time

Jivitputrika Vrat 2023: आज जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत पारण टाइमिंग

Jivitputrika Fast 2023: शास्त्रों के अनुसार, जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत के प्रभाव से संतान प्राप्ति के साथ दुखों व परेशानियों से उनकी रक्षा होती है। जानें इस साल कब है जितिया व्रत-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 5 Oct 2023 11:46 PM
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When is Jivitputrika or Jitiya Vrat: जीवित्पुत्रिका व्रत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। जीवित्पुत्रिका व्रत में माताएं अपने संतान की सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिए पूरे दिन व पूरी रात निर्जला व्रत रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है। इस व्रत को मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया व्रत भी कहते हैं।

2023 में कब है जीवित्पुत्रिका व्रत-

इस साल जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत 06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को रखा जाएगा। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है। 

जीवित्पुत्रिका व्रत का नहाय-खाय कब होगा-

05 अक्टूबर को जितिया व्रत का नहाय खाय होगा और 06 अक्टूबर को निर्जला व्रत माताएं रखेंगी। इसके बाद 07 अक्टूबर को व्रत का पारण किया जाएगा।

जितिया व्रत 2023 शुभ मुहूर्त-

जितिया व्रत तीन दिनों तक चलता है। ऐसे में यह पर्व 05 अक्टूबर से शुरू होकर 07 अक्टूबर तक चलेगा। अष्टमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से आरंभ होगी और 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।

जितिया व्रत 2023 पारण टाइमिंग- जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकेगा।

जितिया व्रत पूजा- विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
स्नान आदि करने के बाद सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराएं।
धूप, दीप आदि से आरती करें और इसके बाद भोग लगाएं। 
मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं।
कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें।
विधि- विधान से पूजा करें और व्रत की कथा अवश्य सुनें।
व्रत पारण के बाद दान जरूर करें।

जितिया व्रत में इन बातों का रखें ध्यान-

जीवित्पुत्रिका व्रत प्रारंभ करने से पहले नोनी का साग खाने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि नोनी साग में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है। जिसके कारण व्रती के शरीर को पोषक तत्वों की कमी नहीं होती है।
जीवित्पुत्रिका व्रत के पारण के बाद महिलाएं जितिया का लाल रंग का धागा गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं।
पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है। जीवित्पुत्रिका पारण के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाने की परंपरा है।

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