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Jivitputrika Vrat: आज से शुरू जीतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत, नोट कर लें नहाय खाय और व्रत पारण का सही समय

Jivitputrika Vrat 2023: इस व्रत को जिउतिया या जीवित्पुत्रिका भी कहा जाता है। यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीThu, 5 Oct 2023 12:03 AM
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Jitiya Vrat 2023 Muhurat- माताएं अपनी संतान की दीर्घायु व उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए जितिया का व्रत करती हैं। इसे कई स्थानों में जिउतिया या जीवित्पुत्रिका भी कहा जाता है। यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि छह अक्टूबर को पड़ रही है। पांच को नहाय खाय के साथ इसकी शुरुआत हो जाएगी। वेदाचार्य पंडित रमेश चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि इस वर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी छह अक्टूबर को दिन के 06:35 बजे से सात अक्टूबर को दिन के 08:08 बजे तक हैं। इसलिए उदया तिथि के अनुसार छह को जितिया का व्रत रखा जाएगा। इससे एक दिन पूर्व पांच को नहाय खाय के साथ इस व्रत का संकल्प होगा। बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद व ज्योतिष विज्ञान परिषद भी इसी तिथि पर निर्णय दे रहे हैं। कहा कि उदयकालीन और प्रदोष काल अष्टमी पर कुछ विवाद है लेकिन जितिया में प्रदोष व्यापिनी अष्टमी यहां स्वीकार्य है।

सप्तमी युक्त अष्टमी के कारण तिथि में कंफ्यूजन
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा कहता है कि सप्तमी युक्त अष्टमी में यह व्रत नहीं करना चाहिए। इस वजह से कई विद्वानों का मानना है कि नवमी युक्त अष्टमी अर्थात सात अक्टूबर को यह व्रत करना चाहिए। वहीं, इसका खंडन करते हुए वेदाचार्य पंडित रमेश चंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि जीवित्पुत्रिका कथा में आगे स्पष्ट है कि जिस रात्रि में अष्टमी को भोग हो वहीं व्रत के लिए मान्य है क्योंकि यह व्रत कृष्ण पक्ष का है और चंद्रायण है। इस अनुसार बेझिझक यह व्रत छह को ही निश्चित है।

नहाय खाय के दिन मडूआ के व्यंजन का महत्व
नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं जितिया का संकल्प लेती है। इस दिन मडूआ से बने व्यंजनों का महत्व है। सतपुतिया का भी सेवन किया जाता है। इसके धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी हैं। कई जगह इस दिन मछली का भी सेवन की परंपरा है। लेकिन गुरुवार होने के कारण कई लोग नहाय खाय के दिन मछली सेवन का निषेध करेंगे।

सुबह 08:08 के बाद होगा पारण 
जितिया व्रत का जितना महत्व है उतना ही पारण का भी महत्व है। सात अक्टूबर शनिवार को सूर्योदय 5:41 बजे हो रहा है। लेकिन अष्टमी तिथि 08:08 बजे तक है, इसलिए सुबह 08:08 के बाद पारण होगा। लेकिन सुबह 8:36 बजे से लेकर 10:04 बजे तक अशुभ काल रहेगा। इसलिए पारण 8:06 बजे से 8:35 बजे तक कर लेना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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