इस दिन है गीता जयंती, बन रहे हैं कई खास योग भी
तीन दिसंबर 2022 दिन शनिवार को गीता जयंती मनाई जाएगी। गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि को मनाई जाती है। आज से लगभग पांच हजार वर्ष पहले कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में कौरवों और पांडवों की दोनो
तीन दिसंबर 2022 दिन शनिवार को गीता जयंती मनाई जाएगी। गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि को मनाई जाती है। आज से लगभग पांच हजार वर्ष पहले कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में कौरवों और पांडवों की दोनों सेनाओं के बीच जब अर्जुन अपने सगे-संबंधियों को देखकर निराश होकर रथ में पीछे बैठ गए, तब उनके सारथी भगवान श्रीकृष्ण ने उनको गीता का उपदेश दिया था। उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी थी। उसी के दिन से यह पर्व निरंतर चला आ रहा है। निष्काम कर्म योग एवं ज्ञान योग का विस्तृत वर्णन करते हुए आत्मा को अजर-अमर बताने वाले भगवान श्रीकृष्ण ने अपने उपदेश से अर्जुन के इस मोह को नष्ट किया था।
उन्होंने कहा था तुम तो केवल मात्र निमित्त हो। जो तुम विशाल सेना और महारथियों को देख रहे हो यह सब पहले ही काल गति में समा रही है। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था जिसमें सारी कौरव सेना, बड़े-बड़े महारथी उनके मुख में समा रहे थे। यह देखकर अर्जुन का मोह समाप्त हुआ और युद्ध के लिए तैयार हुए। श्रीमद्भगवद्गीता विश्व का सबसे प्रसिद्ध निष्काम कर्म योग, ज्ञान,भक्ति और कर्म का उपदेश देने वाला ग्रंथ है। इसके अध्ययन करने एवं नित्य पाठ करने से मानसिक शांति और ईश्वर के प्रति भक्ति उत्पन्न होती है।
तीन दिसंबर को ही मोक्षदा एकादशी भी है। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होकर के मोक्ष प्राप्त कर लेता है। इस दिन एकादशी प्रातःकाल 5:39 से आरंभ होकर अगले दिन सूर्य उदय से पहले 5:34 बजे पर समाप्त होगी। इसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ होगी। मोक्षदा एकादशी का व्रत तीन दिसंबर को ही रखा जाएगा। इस दिन प्रातःकाल से अगले दिन सूर्य उदय से पहले तक रवि योग भी आ रहा है। रवि योग में सूर्य की प्रधानता होती है और इस योग में किया हुआ हर कार्य उत्तम सफलता देता है। इसलिए इस वर्ष मोक्षदा एकादशी रवि योग का आना बहुत शुभ है।
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को धूप दीप नैवेद्य से पूजा करें। प्रातःकाल 11:00 से 2:00 के बीच में पूजा करें। निराहार व्रत रहे। आवश्यकता हो तो थोड़ा अल्पाहार या फलाहार अथवा दूध आदि ले सकते हैं। एकादशी का परायण अगले दिन प्रातःकाल होगा। भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी सभी पापों को निवारण करके मोक्ष को प्रदान करती है। मोक्ष वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति की सारी कामना एवं इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। वह सांसारिक आवागमन के चक्र से छूट जाता है। ऐसा शास्त्रीय उल्लेख है। इसलिए एकादशी का व्रत हमें पवित्रता, निष्काम कर्म योग, समभाव का संदेश देता है। जो व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार करते हैं, इसको जीवन में उतारते हैं मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के चरणों में परम पद प्राप्त कर लेते हैं।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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