Geeta Jayanti : हनुमान जी, बर्बरीक और संजय ने भी सुना था गीता का उपदेश 

मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद्भागवत गीता की उत्पत्ति इसी दिन हुई। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया।...

Arpan लाइव हिन्दुस्तान टीम , meerutFri, 25 Dec 2020 11:42 AM
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मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद्भागवत गीता की उत्पत्ति इसी दिन हुई। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया। इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है।

पुराणों के अनुसार श्रीमद्भागवत गीता की उत्पत्ति कलियुग के आरंभ होने से 30 वर्ष पहले हुई थी। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। गीता जयंती के दिन गीता को पढ़ना या सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन गीता पाठ करने और मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गीता के उपदेशों को आत्मसात करने से जीवन में सफलता के द्वार खुल जाते हैं। श्रीमद्भागवत गीता में सभी परेशानियों का हल बताया गया है। इस ग्रंथ में 18 अध्याय में संचित ज्ञान बहुमूल्य है। सिर्फ अर्जुन ने ही नहीं, बर्बरीक, हनुमान जी और संजय ने भी भगवान श्रीकृष्ण से गीता का उपदेश सुना था। गीता जयंती के दिन शंख का पूजन अवश्य करना चाहिए। इस दिन शंख बजाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। गीता जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। इस दिन श्रीमद्भगवत गीता के दर्शन करने मात्र से समस्याएं दूर हो जाती हैं। गीता जयंती के दिन श्रीमद्भगवत गीता को घर लाना शुभ माना जाता है। श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। 

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है। 

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