Durga Maa: नवरात्रि आज से शुरू, नोट कर लें कलश स्थापना की सही विधि और मुहूर्त
Durga Puja 2023: 15 अक्टूबर से नवरात्रि का माह पर्व शुरू होने जा रहा है। इस दिन विशेष तौर पर कलश स्थापित कर माता रानी की विधिवत पूजा-पाठ की जाती है।
नवरात्रि 202023: दुर्गा मैया हाथी पर सवार होके आ रही हैं। 15 अक्टूबर से नवरात्रि का माह पर्व शुरू होने जा रहा है। इस दिन विशेष तौर पर माता रानी की विधिवत पूजा-पाठ किया जाता है। नवरात्रि के 9 दिन अखंड ज्योति जलाने का महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में कलश की स्थापना करना बेहद महत्वपूर्ण और फलदायक माना जाता है। इसलिए आइए जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने की संपूर्ण विधि और मुहूर्त-
नवरात्रि शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का मुहूर्त- 15 अक्टूबर, 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक
घटस्थापना तिथि - रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना मुहूर्त- प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक रहेगा
घटस्थापना का महत्व
नवरात्रि में घट स्थापना का बड़ा महत्व है। कलश में हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, पांच प्रकार के पत्तों से कलश को सजाया जाता है। कलश के नीचे बालू की वेदी बनाकर जौ बोए जाते हैं। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।
कलश स्थापना की सही विधि
सबसे पहले पूजन स्थान की गंगाजल से क्शुद्धि करें। अब हल्दी से अष्टदल बना लें। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक मिट्टी या तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में साफ पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। अब इस कलश के पानी में सिक्का, हल्दी, सुपारी, अक्षत, पान, फूल और इलायची डालें। फिर पांच प्रकार के पत्ते रखें और कलश को ढंक दें। इसके बाद लाल चुनरी में नारियल लपेट कलश के उपर रख दें।
पूजा-विधि
- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
- माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
- अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।
- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
- कलश स्थापित करें।
- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
- पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
- अंत में क्षमा प्राथर्ना करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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