Chand darshan Puja Vidhi:करवा चौथ पर चांद देख रही हैं, तो इन नियमों को भी मान लें
Chand darshan Puja Vidhi करवा चौथ पर हर सुहागिन महिला अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन पूरा सोलह श्रृंगार करने के बाद सुहागिनें नए वस्त्र आभूषण पहनकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। करवा च
Chand darshan Puja Vidhi करवा चौथ पर हर सुहागिन महिला अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन पूरा सोलह श्रृंगार करने के बाद सुहागिनें नए वस्त्र आभूषण पहनकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। करवा चौथ की कथा में करवे का इस्तेमाल किया जाता है। पूजा में दो करवे रखे जाते हैं। एक करवा माता को चढ़ाया जाता है और दूसरे से चांद के अर्घ्य देते हैं। पूजा में करवे आपस में बदले जाते हैं। हर जगह पूजा की अपनी परंपरा है। पूजा में गणेश परिवार के साथ करवा माता की पूजा भी की जाती है। इसके अलावा मिट्टी की गौरा बनाकर उनसे सुहाग मांगा जाता है। अब कथा सुनने के बाद चांद के दर्शन का इंतजार किया जाता है।
चंद्र दर्शन के लिए सबसे पहले पूजा की थाली सजाई जाती है। इसमें करवे में जल भरा हुआ और पूजा की थाली में रौली, चावल, मिठाई, और छलनी होनी चाहिए। चंद्र दर्शन के समय इस बात का ध्यान रखें कि आप चंद्रमा की दिशा की तरफ ही खड़े हों। दक्षिण दिशा में खड़े होकर चंद्र दर्शन नहीं करने चाहिए। चंद्र दर्शन हमेशा सबसे छलनी से ही करने चाहिए, इससे चंद्रमा का दोष नहीं लगता है। पहले छलनी से चंद्रमा देखें और फिर छलनी से ही पति के दर्शन करें।
इसके बाद चंद्रमा को तिलक लगाएं, जल चढ़ाएं, मिठाई का भोग लगाएं और आरती उतारें, उसके बाद पति को भी तिलक लगाएं और उनकी आरती उतारें।
कई जगह चंद्रमा पर सात सींके भी फेंकी जाती हैं। यह हर जगह की अपनी परंपरा के अनुसार होता है।
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