Amavasya Shradh : पितरों के लिए परम फलदायी है आज की तिथि, ज्योतिषाचार्य से जानें कैसे करें श्राद्ध- तर्पण
धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के 15 दिनों की प्रत्येक तिथि को श्राद्ध के लिए निर्धारित किया गया है। मगर अमावस्या पितरों के लिए परम फलदायी है। इसे सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं।
रविवार को श्राद्ध अमावस्या पर 16 दिन से धरती पर आए पितर फिर से स्वर्ग को वापस लौट जाएंगे। इस दौरान अमावस्या पर भूले बिसरों के लिए भी तर्पण कराया जाएगा।
धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के 15 दिनों की प्रत्येक तिथि को श्राद्ध के लिए निर्धारित किया गया है। मगर अमावस्या पितरों के लिए परम फलदायी है। इसे सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं। जो व्यक्ति इन 15 दिनों में किसी कारणवश तर्पण नहीं कर पाता है या जिन्हें पितरों की तिथि याद नहीं होती है, वे सभी श्राद्ध तर्पण, दान आदि पितृ विसर्जनी अमावस्या को कर सकते हैं। इस दिन सभी को श्राद्ध करना आवश्यक है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। ब्रजघाट में भी एक संस्था लाखों बलिदानियों और भूले बिसरे दिवंगतों के लिए महा श्राद्ध करा रही है।
पंड़ित अनिल कौशिक और मुनेंद्र शर्मा ने बताया कि पूर्वाह्न में माता का और अपराह्न में पिता का श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध सदैव अपने घर में या किसी पवित्र तीर्थ स्थल पर ही करना चाहिए। श्राद्ध का भोजन ब्राह्माण को कराने के साथ ही पांच बलियां भेजने के रूप में गौ, कौआ, श्वान, देव और पितरों को दी जाती हैं।
श्राद्ध की तिथि में अपने पितरों का ध्यान कर हाथ में चावल और काले तिल लेकर श्राद्ध का संकल्प लें और ब्राह्माणों को भोजन कराएं, मंदिर के लिए खाना निकालें। इस दिन विशेष रूप से श्राद्ध करने तक परिवार के सदस्यों को उपवास रखना चाहिए।
श्राद्ध की विधि
श्राद्धकर्ता धोती पहनकर श्राद्ध करें यही उत्तम विधि है। श्राद्ध के दिन गीता, गरुण पुराण का पाठ करें। पितृ देवता का ध्यान कर ऊँ केशवाय नम:, ऊँ माधवाय नम: कहते हुए तर्पण करना चाहिए। श्रद्धा भाव से किया गया तर्पण ही फलदायी होता है। इसके बाद प्रार्थना करें कि हे पितृ देवता हमारे घर परिवार की रक्षा करें, हमारा कल्याण करें और हमसे हुई गलतियों को क्षमा करें।
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