Ahoi Ashtami : रवि पुष्य समेत चार मुख्य योगों में मनाई जाएगी अहोई अष्टमी, संतान को मिलेगी अपार सफलता
अहोई अष्टमी कार्तिक मास की कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है। यह दिन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि माताएं देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और प्रार्थना करती हैं।
Ahoi Ashtami : पति पत्नी के प्यार और सम्मान के पर्व करवा चौथ के महज चार दिन बाद संतानों की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य के मंगलकामना हेतु महिलाओं द्वारा अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन महिलाएं तारों की छांव में पूजा करके अर्घ्य देतीं हैं। ज्योतिर्विद स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि इस बार अहोई अष्टमी का पर्व 5 नवम्बर रविवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि रविवार प्रातः 12:59 से प्रारंभ होकर अगले दिन प्रातः 03:18 मिनट तक रहेगी। वहीं अहोई अष्टमी पूजा सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष काल में की जाएगी। जिसका शुभ मुहूर्त सांय 5:32 मिनट से 06:51 मिनट तक लगभग 1 घंटा 18 मिनट तक रहेगा। सांय 05:57 मिनट से तारों का दर्शन कर अर्घ्य दिया जाएगा। स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने बताया कि अहोई अष्टमी वाले दिन चार शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग बन रहे हैं। जिनमें रवि पुष्य योग प्रातः 06:36 मिनट से 10:29 मिनट तक, सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 06:36 से 10:29 बजे तक रहेगा। प्रात:काल से ही शुभ योग प्रारंभ हो रहा है जो कि दोपहर 01:37 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से शुक्ल योग प्रारंभ होगा, ये सभी योग मांगलिक कार्यों की दृष्टि से अत्यंत शुभ फलदायी माने जाते हैं क्योंकि पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से आठवां होने की वजह से राजा है। इसका स्वामी ग्रह चंद्र होने से स्थिरता भी प्राप्त करता है, वहीं इस बार शनि अपनी स्वराशि कुम्भ में और बृहस्पति मेष राशि में विराजमान रहेंगे। जिससे पूजा का अनंत गुना फल देखने को मिलेगा साथ ही इस योग में की गयी सोना चांदी की खरीददारी भी अत्यंत लाभकारी रहेगी।
व्रत से संतान को मिलती है दीर्घायु- अहोई अष्टमी पूजा के महत्त्व को लेकर कहा कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से संतान के समस्त कष्ट दूर होकर दीर्घायु मिलती है। संतान के और सफलता के रास्ते खुलते हैं। वहीं संतान प्राप्ति की कामना हेतु इस दिन विधिवत मां पार्वती एवं भगवान शिव की पूजा से संतान प्राप्ति होती है। भगवान शिव परिवार की विशेष पूजा अर्चना कर अहोई अष्टमी व्रत कथा सुनें। अर्घ्य देकर मां पार्वती एवं भगवान शिव को भोग अर्पित कर सर्वप्रथम संतान को खिलाएं। उसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करें, अहोई अष्टमी के दिन व्रत कथा सुनने मात्र से संतान संबंधी मनोकामना कामना पूरी होती है।
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