Devshayani ekadashi katha:देवशयनी का व्रत करने से मान्धाता राजा ने पाई खुशहाली, आप भी इस व्रत पर जरूर पढ़ें यह कथा
Devshayani ekadashi vrat katha:आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई बुधवार को मनाई जाएगी।

आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई बुधवार को मनाई जाएगी। आपको बता दें कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक का समय चातुर्मास कहलाता है, इस समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इन दिनों सृष्टि का कार्यभार देवों के देव भगवान शिव के हाथों में होता है।
कब से कब तक है एकादशी तिथि
इस बार एकादशी तिथि 16 जुलाई सांय 08:33 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जो 17 जुलाई शाम 09:02 मिनट पर समाप्त होगी। अत: उदयातिथि के अनुसार 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
यहां पढ़ें देवशयनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार मान्धाता नाम का एक सूर्यवंशी राजा था। वह हमेशा सत्य बोलता था और महान तपस्वी और चक्रवर्ती था। वह अपनी प्रजा की देखभाल अपनी संतान की तरह करता था। एक बार उस राज्य में अकाल पड़ने से हाहाकार मच गया। राजा को प्रजा की चिंता सताने लगी। लोग राजा से अपने कष्ट बताने लगे। इससे राजा बहुत परेशान हुआ और इस समस्या का समाधान निकालने के लिए राजा मान्धाता भगवान की पूजा कर कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को साथ लेकर वन को चल दिए। वन में वे ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम पर पहुंच गए। वहां राजा ने अंगिरा ऋषि से कहा कि मेरे राज्य में तीन वर्ष से वर्षा नहीं हो रही है। इससे अकाल पड़ गया है और प्रजा कष्ट भोग रही है। राजा ने यह भी कहा कि शास्त्रों में लिखा है कि राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट मिलता है। राजा ने कहा कि मैं तो धर्मानुसार राज्य करता हूं, फिर यह अकाल कैसे पड़ गया। आप कृपा कर मेरी इस समस्या का समाधना करिए। इस पर अंगिर ऋषि बोले इस युग में केवल ब्राह्मणों को ही तप करने, वेद पढ़ने का अधिकार है, लेकिन राजा आपके राज्य में एक शूद्र तप कर रहा है। इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। अगर आप प्रजा का कल्याण चाहते हैं तो शीघ्र ही उस शूद्र का वध करवा दें। राजा मान्धाता ने कहा कि किसी निर्दोष मनुष्य की हत्या करना मेरे नियमों के विरुद्ध है आप और कोई दूसरा उपाय बताएं।
ऋषि ने राजा से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी नाम की एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करने को कहा। वे बोले इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में बारिश होगी और प्रजा भी पहले की तरह सुखी जीवन यापन कर पाएगी। राजा ने देवशयनी एकादशी का व्रत पूजन का नियम अनुसार पालन किया जिसके प्रताप से राज्य में फिर से खुशहाली लौट आई। कहते हैं मोक्ष की इच्छा रखने वाले मनुष्यों को इस एकादशी का व्रत करना चाहिए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।