सोमवती अमावस्या पर होती है पीपल की परिक्रमा, पितृों के लिए किया जाता है दान
- सोमवती अमावस्या पर होती है पीपल की परिक्रमा का विधान है। कहते हैं इस दिन स्नान और परिक्रमा करके जो दान दिया जाता है उसे पितृ प्रसन्न होते हैं। यहां जानें
ऐसा कहा जाता है कि सोमवती अमावस्या बहुत बड़ी अमावस्या है। इसे शनिश्चरी अमावस्या से भी बड़ी अमावस्या माना जाता है। जो अमावस्या सोमवार को पड़े वो सोमवती अमावस्या है, जो अमावस्या शनिवार को है, वो शनिश्चरी अमावस्या है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या इस बार सोमवार को है। पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया इसलिए सोमवती अमावस्या को महिलाएं पीपल वृक्ष की पूजा करेंगी। यह दो सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण का बड़ा फल मिलता है। सोमवती अमावस्या पर स्नान और दान का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए। पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए। पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करना चाहिए। शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सारे ग्रह मिलकर चंद्रमा के साथ मिलकर भगवान शिव की उपासना करते हैं। इसलिए इस दिन किया गया दान पितरों को लगता है। इससे पितृ तर जाते हैं। हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है, जब सोमवार और अमावस्या का योग बनता है। इस दिन किया गया पूजा-पाठ और व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।
ऐसा कहते हैं कि इस दिन पितृरों को तर्पण करने से परिवार में खुशहाली आती है। इस दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान करके पितरों के नाम का दान करना चाहिए। पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करें, इस वृक्ष की परिक्रमा इसलिए की जाती है क्योंकि पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का निवास माना जाता है, ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु इसमें निवास करते हैं। इस दिन स्नान और दान करके महिलाएं पीपल के वृक्ष के चारों ओर 108 बार फेरी लगाकर उसकी पूजा करेंगी और कच्चे सूत का धागा वृक्ष के चारों ओर लपेटेंगी।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक रुचि को ध्यान में रखकर लिखी गई है। इसका हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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