नवरात्रि सप्तमी कल, इन मुहूर्त में करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें भोग व मंत्र
- Shardiya Navratri Saptami : इस बार शारदीय नवरात्रि 9 दिन की है लेकिन तिथि घटने-बढ़ने से कल सप्तमी है। शारदीय नवरात्रि की सप्तमी पर पूरे विधि-विधान से दुर्गा माता के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।
Saptami: कल गुरुवार के दिन नवरात्रि का आठवां दिन रहेगा लेकिन तिथि सप्तमी पड़ रही है। इस बार शारदीय नवरात्रि 9 दिन की है लेकिन तिथि घटने-बढ़ने से कल सप्तमी है। शारदीय नवरात्रि की सप्तमी पर पूरे विधि-विधान से दुर्गा माता के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां की पूजा से सुख-समृद्धि बनी रहती है साथ ही अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं नवरात्रि की सप्तमी के पूजा मुहूर्त, माता कालरात्रि की पूजा-विधि, भोग, प्रिय रंग, पुष्प और मंत्र-
नवरात्रि सप्तमी कल: 10 अक्टूबर के दिन शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि रहेगी। पंचांग के अनुसार, सूर्योदय के समय सप्तमी तिथि रहेगी। दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक सप्तमी तिथि रहेगी, जिसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी। ऐसे में उदया तिथि की मानें तो गुरुवार को सप्तमी तिथि मान्य है।
इन मुहूर्त में करें मां कालरात्रि की पूजा
ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 ए एम से 05:30 ए एम
प्रातः सन्ध्या 05:05 ए एम से 06:19 ए एम
अभिजित मुहूर्त 11:45 ए एम से 12:31 पी एम
विजय मुहूर्त 14:04 पी एम से 14:50 पी एम
गोधूलि मुहूर्त 05:56 पी एम से 06:21 पी एम
सायाह्न सन्ध्या 05:56 पी एम से 07:11 पी एम
अमृत काल- 00:48 ए एम, अक्टूबर 11 से 02:26 ए एम, अक्टूबर 11
निशिता मुहूर्त- 11:43 पी एम से 00:33 ए एम, अक्टूबर 11
मां कालरात्रि का भोग- मां कालरात्रि को गुड़ का भोग प्रिय है। ऐसे में पूजा के समय मां कालरात्रि को गुड़, गुड़ की खीर या गुड़ से बनी चीज का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र- ‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।’
शुभ रंग व प्रिय पुष्प- मां कालरात्रि का प्रिय रंग लाल माना जाता है। ऐसे में शारदीय नवरात्रि की सप्तमी पर पूजा के दौरान लाल वस्त्र पहनना शुभ रहेगा। वहीं, माता को लाल रंग के गुड़हल या गुलाब के पुष्प अर्पित करें।
मां कालरात्रि मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
पूजा-विधि
1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
2- माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
3- दुर्गा मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी, सिंदूर, पीले और लाल पुष्प अर्पित करें।
4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
5- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
6- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
7- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
8- फिर पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
9- अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
मां कालरात्रि पूजन महत्व
माता कालरात्रि अपने उपासकों को काल से भी बचाती हैं अर्थात उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इनके नाम के उच्चारण मात्र से ही भूत, प्रेत, राक्षस और सभी नकारात्मक शक्तियां दूर भागती हैं। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं एवं ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली देवी हैं। इनके उपासक को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। सभी व्याधियों और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए मां कालरात्रि की आराधना विशेष फलदायी होती है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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