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दुर्गा अष्टमी कब है? जानें मां के अष्टम स्वरूप मां महागौरी के बारे में संपूर्ण जानकारी

  • इस समय शारदीय नवरात्रि चल रही है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की विधि-विधि से पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन को महा अष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के मां महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 5 Oct 2024 08:18 AM
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इस समय शारदीय नवरात्रि चल रही है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की विधि-विधि से पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन को महा अष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के मां महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है। मां महागौरी का रंग पूर्णता गोरा होने के कारण ही इन्हें महागौरी या श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। इस साल 11 अक्टूबर को महाअष्टमी है। शास्त्रों के अनुसार सप्तमी और अष्टमी मिला रहने पर महाअष्टमी का व्रत निषेध माना गया है। 10 को सप्तमी और अष्टमी दोनों है। इसलिए श्रद्धालु अष्टमी की पूजा न कर सिर्फ सप्तमी की पूजा करेंगे। अष्टमी तिथि का शुभारंभ 10 को दोपहर 12:32 से होगा, जो 11 अक्टूबर को 12:07 तक रहेगी। आइए जानते हैं, मां के अष्टम स्वरूप मां महागौरी के बारे में सबकुछ…

राजा हिमालय के घर जन्मी थीं माता पार्वती

देवी पार्वती का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था। आठ वर्ष की उम्र में ही उन्हें अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास हो गया। तब से ही वह भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू कर दिया था। तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था इस लिए उनका नाम महागौरी पड़ा। इस दिन दुर्गा सप्तसती का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

मां महागौरी कथा-

मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से धन व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं। इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है। इनकी चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है। सफेद वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें स्वेतांबरा भी कहा गया है। मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं। पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें पति के रूप में पाया था। कथा है कि एक बार देवी पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं। इसके बाद वह तपस्या पर बैठ गईं। जब भगवान शिव उन्हें खोजते हुए पहुंचे तो वह चकित रह गए। पार्वती का रंग, वस्त्र और आभूषण देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं। महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं। मां गौरी की आराधना सर्व मंगल मंग्लये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते..। इसी मंत्र से की जाती है। कहा जाता है कि एक बार भूखा शेर उन्हें निवाला बनाने के लिए व्याकुल हो गया पर उनके तेज के कारण वह असहाय हो गया। इसके बाद देवी पार्वती ने उसे अपनी सवारी बना लिया था। मां के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना करने से धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

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