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Shardiya navratri :अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन कब करना उत्तम, ज्योतिर्विद ने बताया कारण

  • navratri ashtami अब जिन लोगों ने सप्तमी का व्रत रखा है, वे उदय कालिक अष्टमी यानी 11 अक्टूबर में कन्या का पूजन कर सकते हैं। कन्या भोज कराने के लिए मुख्य दिन 11 अक्टूबर है। इस दिन महाअष्टमी का कन्या पूजन पूरे दिन किया जा सकता है।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, ज्योतिर्विद पंडित दिवाकर त्रिपाठीWed, 9 Oct 2024 03:30 PM
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शारदीय नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर कुछ कंफ्यूजन थी। जो लोग सप्तमी का व्रत करते हैं, वो अष्टमी को कन्या पूजन करते हैं और जो लोग अष्टमी का व्रत रखते हैं, वो नवमी को कन्या पूजन करते हैं। इस साल तिथियों के घटने-बढ़ने के कारण नवरात्र की तारीखों में अंतर है। सप्तमी तिथि 9 अक्टूबर दिन बुधवार को लग गई है, जो 10 अक्टूबर तक होगी। इसके बाद अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर सुबह से लग रही है, जो 11 अक्टूबर को सूर्योदय के तुरंत बाद सुबह 6:52 बजे तक रहेगी। अब जिन लोगों ने सप्तमी का व्रत रखा है, वे उदय कालिक अष्टमी यानी 11 अक्टूबर में कन्या का पूजन कर सकते हैं। कन्या भोज कराने के लिए मुख्य दिन 11 अक्टूबर है। इस दिन महाअष्टमी का कन्या पूजन पूरे दिन किया जा सकता है।

अष्टमी का कन्या पूजन कब उत्तम
इसका मुख्य कारण यह है कि सप्तमी तिथि से युक्त अष्टमी तिथि में कन्या भोज करने से उतना लाभ नहीं मिलेगा, जितना की अष्टमी से युक्त नवमी में भोज करने से क्योंकि सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य को माना जाता है। अष्टमी तिथि का स्वामी भगवान शिव को माना जाता है। जबकि नवमी तिथि के स्वामी माता दुर्गा होती है । इस कारण से अष्टमी से युक्त नवमी में कन्या भोज करना ज्यादा लाभप्रद होगा क्योंकि माता दुर्गा एवं भगवान शिव दोनों का आशीर्वाद अष्टमी से युक्त नवमी में कन्या भोज करने से मिलेगा।

नवमी तिथि 11अक्टूबर दिन शुक्रवार की रात अर्थात शनिवार सूर्योदय से पहले 5:47 बजे तक नवमी तिथि व्याप्त रहेगा। उसके बाद दशमी तिथि लग जायेगी। प्रकार महाअष्टमी एवं महानवमी दोनों के व्रत 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को किया जाएगा। अर्थात चढ़ती उतरती का व्रत करने वाले लोग 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को व्रत करेंगे।

रात्रि कालीन अष्टमी तिथि की पूजा 10 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार की महानिशा में की जाएगी। महाष्टमी एवं महानवमी दोनों के व्रत का मान 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को होगा । पूजा पंडालो में संधि पूजन का कार्य 11 अक्टूबर दिन शुक्रवार को प्रातः 6:28 से लेकर के 7:16 के बीच में किया जाएगा । नवरात्र से संबंधित 9 दिनों तक चल रहे दुर्गा सप्तशती पाठ के समापन के बाद हवन संबंधित कार्य 11 एवं 12 अक्टूबर की भोर में 5:47 बजे तक किसी भी समय किया जा सकता है। पूर्ण नवरात्र व्रत का पारण 12 अक्टूबर दिन शनिवार को प्रातः काल किया जाएगा। विजयदशमी का पावन पर्व 12 अक्टूबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा। श्रवण नक्षत्र में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन 12 अक्टूबर को ही कर लिया जाएगा। श्रवण नक्षत्र दशमी तिथि 12 अक्टूबर की रात में 12:51 तक व्याप्त रहेगा। इस कारण से संपूर्ण दिन भर एवं रात में 12:51 बजे तक दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा सकता है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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