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सावन का शनि प्रदोष व्रत आज, इस शुभ मुहूर्त में शिवजी और शनिदेव की करें पूजा,हर कष्ट होंगे दूर

  • Shani Pradosh Vrat 2024 Date : कल सावन महीने का आखिरी शनि प्रदोष व्रत है। इस खास मौके पर शिवजी के साथ शनिदेव की पूजा का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इससे भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तानSat, 17 Aug 2024 05:03 AM
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Shani Pradosh Vrat 2024 : सावन का माह भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए बेहद उत्तम समय मनाया गया है। 22 जुलाई से शुरू हुआ सावन सोमवार के समापन में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। वैसे तो भोलेनाथ की कृपा साधकों पर हमेशा बनी रहती है, लेकिन महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्तों के पास 19 अगस्त तक का समय बेहद शुभ साबित हो सकता है। हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। दृक पंचांग के अनुसार, कल यानी 17 अगस्त 2024 को शनिवार के दिन शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन शिवजी के साथ शनिदेव महाराज की भी पूजा-आराधना की जाती है। आइए जानते हैं सावन सोमवार का शुभ मुहूर्त और पूजाविधि...

कब से शुरू होगा प्रदोष व्रत ?

पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 17 अगस्त 2024 को सुबह 08 बजकर 05 मिनट पर होगा। जिसका समापन 18 अगस्त 2024 को सुबह 05:51 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 17 अगस्त 2024 शनिवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा। शनिवार को पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग का भी निर्माण होगा।

प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त : इस दिन शाम 06:58 पीएम से लेकर 09:09 पीएम तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

पूजाविधि :

शनि प्रदोष के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें।

स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें और मंदिर साफ करें।

इसके बाद शिवजी की पूजा की तैयारियां शुरु करें।

पूजा सामग्री एकत्रित कर लें और एक छोटी चौकी पर लाल या पीला कपड़े बिछाएं।

अब इस चौकी पर शिव-परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।

शिवजी को फल,फूल,धूप-दीप और नेवैद्य अर्पित करें।

इसके बाद शिव परिवार समेत सभी देवी-देवता की आरती उतारें।

शिवलिंग पर जल अर्पित करें और संभव हो, तो दिनभर फलाहारी व्रत रखें।

इसके बाद सायंकाल में प्रदोष काल मुहूर्त में शिव पूजा आरंभ करें।

शिवलिंग पर गंगाजल, कच्चा दूध, आक के फूल, बेलपत्र और भांग समेत सभी पूजा सामग्री अर्पित करें।

शिवजी के बीज मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' का मन ही मन में उच्चारण करें।

शनि प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। शिव आरती के बाद लोगों के बीच प्रसाद बांटे।

इस दिन शिव मंदिर के साथ शनि मंदिर जाकर भी शनिदेव की पूजा करना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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