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Aarti : शिवजी और माता पार्वती की ये आरती सावन में रोजाना करें, मिलेगी पापों से मुक्ति

  • सावन माह भोलेशंकर को प्रिय होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है। सावन माह में भगवान शंकर और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती की आरती जरूर करें।

Yogesh Joshi नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीम/एजेंसीMon, 5 Aug 2024 01:34 AM
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सावन माह भोलेशंकर को प्रिय होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है। सावन माह में भगवान शंकर और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती की आरती जरूर करें। रोजाना नियम से ऐसा करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आगे पढ़ें भगवान शंकर और माता पार्वती की आरती- 

भगवान शंकर की आरती- 

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

माता पार्वती की आरती- 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता

 

ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।

 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

 

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।

 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

 

देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।

 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता

 

हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।

 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता

 

सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।

 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

 

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

देवन अरज करत हम चित को लाता

 

गावत दे दे ताली मन में रंगराता।

 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

 

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता

 

सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।

 

जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

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