सात दशक बाद सावन की शुरूआत और समापन भी सोमवार को
- इस वर्ष 22 जुलाई से 19 अगस्त तक चलेगा। यह हिंदू पंचांग के पांचवें माह के रूप में माना जाता है और विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
सावन महीने में इस बार अद्भुत संयोग बन रहा है। यह महीना सोमवार से शुरू होगा और सोमवार को ही समाप्त होगा। 72 वर्षों बाद बन रहे इस अद्भुत संयोग को लेकर लोगों में उत्सुकता है। सर्वार्थ सिद्धि, प्रीति और आयुष्मान योग में सावन के महीने की शुरूआत होगी।
विनायक ज्योतिष केंद्र के संस्थापक आचार्य पं. शोभित शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष 22 जुलाई से 19 अगस्त तक चलेगा। यह हिंदू पंचांग के पांचवें माह के रूप में माना जाता है और विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस मास में शिवजी की पूजा, व्रत और अर्चना करने का महत्व अत्यंत उच्च माना जाता है। श्रावण मास पश्चिमी कैलेंडर के अनुसार आमतौर पर जुलाई और अगस्त महीने के बीच आता है। इस मास में हिंदू समुदाय के लिए विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं, जो उनके आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण होती है।
श्रावण मास को हिंदू धर्म शास्त्रों में पवित्र और शुभ मास माना गया है। इस मास में किसी भी शुभ कार्य को करने का महत्व अत्यधिक होता है, क्योंकि मान्यता है कि इस समय हर दिन भाग्यशाली और आध्यात्मिक रूप से ऊर्जावान होता है। श्रावण मास में भगवान शिव की विशेष पूजा और व्रत अधिकतर लोग करते हैं। जिससे उन्हें अपने जीवन में शांति, समृद्धि और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। सावन में सोमवती अमावस्या और सोमवती पूर्णिमा दोनों का संयोग बनेगा। इससे पहले ये संयोग 1976, 1990, 1997 व 2017 में बना था।
भक्तों को मिलती है शिव-पार्वती की कृपा
श्रावण मास में केवल जलाभिषेक से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। सावन मास में प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्नति के योग बनते है। श्रावण मास में ही समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए थे। जिसमें एक था विष। इस विष को शिवजी ने अपने गले में स्थापित कर लिया था, जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा। विष की जलन रोकने के लिए सभी देवताओं ने उन पर गंगा जल डाला। समूचा श्रावण शिव की खूबियां से भरा है। महादेव की तरह श्रावण भी गर्मी से तपती धरती को बारिश से तृप्त करता है। जीव-जंतु और प्रकृति का यह सृजन का काल है।
श्रावण स्वागत करना है तो अपने अंदर से ईष्या, द्वेष, भय, क्रोध और अहंकार को मिटाना होगा। इसके लिए हृदय को निर्मल और पवित्र बनाना होगा। जब हमारे आचरण में सरलता, आनंद, पवित्रता और प्रेम का गुण होगा। श्रावण मास में रुद्राभिषेक करना और कराना अत्यंत फलदाई होता है।
22 जुलाई - श्रावण पहला सोमवार
29 जुलाई - श्रावण दूसरा सोमवार
05 अगस्त - श्रावण तीसरा सोमवार
12 अगस्त - श्रावण चौथा सोमवार
19 अगस्त - श्रावण पांचवा सोमवार
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