Hindi Newsधर्म न्यूज़sawan 2024 kab se kab tak hai start and end date of savan shiv puja samagri list

22 जुलाई से 19 अगस्त तक सावन, नोट कर लें भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री की पूरी लिस्ट

  • इस साल 22 जुलाई यानि सोमवार से सावन का महीना शुरू हो रहा है। इस सावन अद्भुत संयोग बन रहा है। सावन की शुरुआत भी सोमवार से और समापन भी सोमवार को ही है। सावन के पहले दिन प्रथम सोमवारी होगी।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानMon, 15 July 2024 06:04 PM
share Share
Follow Us on

इस साल 22 जुलाई यानि सोमवार से सावन का महीना शुरू हो रहा है। इस सावन अद्भुत संयोग बन रहा है। सावन की शुरुआत भी सोमवार से और समापन भी सोमवार को ही है। पंडित सुनील कुमार दुबे ने बताया कि सावन के पहले दिन प्रथम सोमवारी होगी। माह के अंतिम दिन 19 अगस्त को पूर्णिमा और रक्षाबंधन का त्योहार है। उस दिन सावन की अंतिम सोमवारी होगी। इस बार पांच सोमवार को श्रद्धालु जलाभिषेक करेंगे। जुलाई में 22, 29 व अगस्त में 05,12,19 को सोमवारी पड़ रही है। इस वर्ष प्रीति योग और सावन नक्षत्र में सावन महीना की शुरुआत हो रही है। सावन के पहले दिन सुबह से शाम तक प्रीति योग रहेगा, वहीं सावन नक्षत्र सुबह से लेकर रात साढ़े दस बजे तक रहेगा। सावन की सोमवारी को जल चढ़ाकर भोलेनाथ की पूजा और मंगला गौरी व्रत रख मां पार्वती की पूजा से भक्तों को मनोवांछित फल, पुण्य व सुख की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री-

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

सावन महीने की पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।

शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।

भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।

भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।

भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। 

भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें