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Sakat Chauth Vrat : सकट चौथ व्रत कब रखा जाएगा? जानें डेट, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त

  • माघ महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी व्रत को सकट चौथ कहा जाता है। सकट चौथ व्रत में भगवान श्रीगणेश की विधि- विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 4 Jan 2025 10:53 AM
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Sakat Chauth 2025: माघ महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी व्रत को सकट चौथ कहा जाता है। सकट चौथ व्रत में भगवान श्रीगणेश की विधि- विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विघ्नहर्ता की पूजा करने संतान की रक्षा होती है और जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। सकट चौथ व्रत के दिन चंद्र पूजन अनिवार्य माना गया है। सकट चौथ व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस दिन संकट हरण गणेश जी का पूजन होता है। पूजा में दूर्वा, शमी पत्र, बेल पत्र, गुड़ और तिल के लड्डू चढ़ाए जाते है। यह व्रत संतान के जीवन में विघ्न, बाधाओं को हरता है। संकटों व दुखों को दूर करने वाला और रिद्धि-सिद्धि देने वाला है। सकट चौथ पर तिल का विशेष महत्व है। इसलिए भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं का भोग जरूर लगाना चाहिए।

2025 में सकट चौथ व्रत की डेट- शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

मुहूर्त-

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - जनवरी 17, 2025 को 04:06 ए एम बजे

चतुर्थी तिथि समाप्त - जनवरी 18, 2025 को 05:30 ए एम बजे

सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय समय - 09:09 पी एम (देश के अलग-अलग शहरों में चंद्रोदय का टाइम भी अलग होता है)

सकट चौथ के दिन दिया जाता है चंद्रमा को अर्घ्य- शास्त्रों के अनुसार, चंद्रमा को औषधियों का स्वामी और मन का कारक माना जाता है। चंद्रदेव की पूजा के दौरान महिलाएं संतान के दीर्घायु और निरोगी होने की कामना करती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने से सौभाग्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस विधि से दें अर्घ्य- चांदी के पात्र में पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। संध्याकाल में चंद्रमा को अर्ध्य देना काफी लाभप्रद होता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त नकारात्मक विचार, दुर्भावना और स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है।

पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।

भगवान गणेश को दूर्वाघास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वाघास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।

भगवान गणेश का ध्यान करें।

गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।

इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है।

शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें।

भगवान गणेश की आरती जरूर करें।

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