Safla Ekadashi Vrat : स्वाती नक्षत्र और सुकर्मा योग में सफला एकादशी कल, व्रत में इन बातों का रखें ध्यान
- स्वाति नक्षत्र और सुकर्मा योग में इस वर्ष सफला एकादशी मनायी जाएगी, जो 26 दिसम्बर को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
Safla Ekadashi Vrat : विभिन्न एकादशियों में सफला एकादशी का अलग ही महत्व है। इस बार सफला एकादशी पर अद्भुत संयोग बन रहे हैं। गुरुवार का दिन होने के साथ ही शुभ नक्षत्र और योग इसे और भी विशेष बना रहे हैं। स्वाति नक्षत्र और सुकर्मा योग में इस वर्ष सफला एकादशी मनायी जाएगी, जो 26 दिसम्बर को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। चूंकि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु का विशेष दिवस और इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है इसलिए यह दिन बेहद खास हो कर रह गया है। इस बार सुकर्मा योग और स्वाति नक्षत्र का शुभ संयोग इसे और भी फलदायी बना रहा है। सुख-समृद्धि दाता है सफला एकादशी का व्रत सफला एकादशी का व्रत जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति प्रदान करता है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत के सुफल से जातक के जीवन में खुशियों का निरंतर प्रवाह होता रहता है। इस व्रत को करने से मनुष्य को सौ अश्वमेघ यज्ञ और हजार राजसूय यज्ञों के बराबर फल प्राप्त होता है। गुरुवार को भगवान विष्णु और वृहस्पति देव की आराधना का दिन माना जाता है। अद्भुत संयोग मिलने से इस दिन व्रत और पूजा करना और भी शुभकारी साबित होगा तथा जातकों को ज्ञान, धर्म और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होगी। शुभ संयोगों का है बेहद शुभ प्रभाव पंडित धर्मेन्द्र झा ने बताया कि शुभ संयोगों के कारण इस बार की सफला एकादशी बेहद शुभ प्रभाव पड़ेगा।
सुकर्मा योग शुभ कार्यों और धर्म-कर्म के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए पूजा-पाठ और दान का फल कई गुना अधिक होता है। इस दिन का स्वाति नक्षत्र देवगुरु वृहस्पति से जुड़ा होता है, जो ज्ञान, धर्म और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। सफला एकादशी व्रत में सच्चे मन से पूजन से जीवन में सफलता और सौभाग्य प्राप्ति का अवसर मिलता है जबकि इस व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में उन्नति और शांति प्राप्त होती है।
सफला एकादशी पर व्रत विधिपूर्वक पूजन का विशेष लाभ मिलने की मान्यता है। इस व्रत से एक दिन पूर्व (दशमी तिथि) को सात्विक भोजन करें और मन को पवित्र रखें। एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान को पीले वस्त्र, तुलसी दल, फल और पंचामृत अर्पित करना चाहिए जबकि पूजन के क्रम में विष्णु सहस्रनाम, भगवद्गीता और श्री हरि के मंत्रों का जाप फलदायी होता है। रात्रि जागरण कर भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन का बड़ा पुण्य मिलता है। द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करना चाहिए, जिससे शुभ ही शुभ होता है।
इस व्रत के दिन कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। इस दिन हर हाल में क्रोध, आलस्य और झूठ बोलने से बचें जबकि तामसिक भोजन और नशे का सेवन कदापि न करें। किसी की निंदा या अपमान करने से भी बचें। लेकिन गुरुवार के दिन होने के कारण केले के पेड़ की पूजा निश्चित रूप से करें और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन आदि का दान भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए करना शुभ फलदायी रहता है।
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