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Radha Kund Snan : अहोई अष्टमी पर राधाकुंड में स्नान का है विशेष महत्व, संतान प्राप्ति की है मान्यता

  • अहोई अष्टमी के दिन ब्रज में मौजूद राधाकुंड में स्नान का बहुत अधिक महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि राधा जी ने उक्त कुंड को अपने कंगन से खोदा था इसलिए इसे कंगन कुंड भी कहा जाता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 23 Oct 2024 08:48 PM
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Radha Kund Snan : दीपावली के पूर्व अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस साल 24 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाएगा। यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। पुत्रवती महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना के लिए किया जाता है। अहोई का पूजन और कथा सुनकर अष्टमी के व्रत में दिनभर उपवास रखा जाता है और सायंकाल तारे दिखाई देने पर व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन ब्रज में मौजूद राधाकुंड में स्नान का बहुत अधिक महत्व है। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से निसंतान दंपति को संतान सुख मिलता है। पौराणिक मान्यता है कि राधा जी ने उक्त कुंड को अपने कंगन से खोदा था इसलिए इसे कंगन कुंड भी कहा जाता है।

राधाकुंड में स्नान से संतान की प्राप्ति की है मान्यता

कार्तिक मास की अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने वाली सुहागिनों को संतान की प्राप्ति होती है। इसके चलते यहां अहोई अष्टमी की अर्ध रात्रि में स्नान किया जाता है।

स्नान से पहले किया जाता है व्रत- मान्यता है कि कार्तिक मास की अष्टमी को वे दंपति जिन्हें संतान प्राप्ति नहीं हुई है वे निर्जला व्रत रखते हैं और अहोई अष्टमी की रात्रि में 12 बजे से राधा कुंड में स्नान करते हैं। इसके बाद सुहागिनें अपने केश खोलकर रखती हैं और राधा की भक्ति कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

कृष्ण राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं

मान्यता है कि आज भी अहोई अष्टमी की रात्रि पर 12 बजे भगवान श्री कृष्ण राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं। वहां स्नान कर भक्ति करने वालों को भगवान श्री कृष्ण और राधान रानी आशीर्वाद देते हैं और पुत्र की प्राप्ति होती है।

श्रीकृष्ण ने राधा जी को दिया था वरदान

कथा के अनुसार श्रीकृष्ण गोवर्धन में गौचारण लीला करते थे। इसी दौरान अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का रूप धरके श्रीकृष्ण पर हमला किया। इस पर श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। तब राधारानी ने श्रीकृष्ण को बताया कि उन्होंने अरिष्टासुर का वध तब किया जब वह गौवंश के रूप में था इसलिए उन्हें गौवंश हत्या का पाप लगा है। इस पाप से मुक्ति के उपाय के रूप में श्रीकृष्ण अपनी बांसुरी से एक कुंड (श्याम कुंड) खोदा और उसमें स्नान किया। इस पर राधा जी ने श्याम कुंड के बगल में अपने कंगन से एक और कुंड (राधा कुंड) खोदा और उसमें स्नान किया।

इसके बाद राधा जी से कृष्ण ने वरदान मांगने को कहा। इस पर राधा जी ने कहा कि हम अभी गौवंश वध के पाप से मुक्त हुए हैं। वे चाहती हैं कि जो भी इस तिथि में राधा कुंड में स्नान करे उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो। इस पर श्री कृष्ण ने राधा जी को यह वरदान दे दिया। इसका उल्लेख ब्रह्म पुराण व गर्ग संहिता के गिर्राज खंड में मिलता है। उल्लेख है कि महारास वाले दिन कार्तिक मास की अष्टमी (अहोई अष्टमी) थी। तभी से इस विशेष तिथि पर पुत्र प्राप्ति को लेकर दंपति राधाकुंड में स्नान कर राधा जी से आशीर्वाद मांगते हैं।

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