प्रदोष व्रत पर आज 2 घण्टे 39 मिनट्स का मुहूर्त, जानें पूजा-विधि व उपाय
- Pradosh 2024 time : आज बुधवार के दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में प्रदोष व्रत की पूजा की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।
Pradosh: आज बुध प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत का पूजन संध्या काल में किया जाता है। इस दिन विधिवत शिव परिवार की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि व उपाय-
प्रदोष व्रत पर आज 02 घण्टे 39 मिनट्स का मुहूर्त: आज बुध प्रदोष के दिन प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 05:28 बजे से रात 08:07 बजे तक है, जिसकी अवधि लगभग 02 घण्टे 39 मिनट तक रहने वाली है। पंचांग अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत नवंबर 13, 2024 को दोपहर 01:01 बजे होगी, जिसकी समाप्ति नवंबर 14, 2024 को सुबह 09:43 बजे तक होगी।
मंत्र- ॐ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं
प्रदोष पूजा-विधि: स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। अब बुध प्रदोष व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। अंत में ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।
बुध प्रदोष उपाय
शिव जी की असीम कृपा पाने के लिए पूजन के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें-
1. घी
2. दही
3. फूल
4. फल
5. अक्षत
6. बेलपत्र
7. धतूरा
8. भांग
9. शहद
10. गंगाजल
11. सफेद चंदन
12. काला तिल
13. कच्चा दूध
14. हरी मूंग दाल
15. शमी का पत्ता
बुध प्रदोष पर चौघड़िया मुहूर्त
लाभ - उन्नति 04:07 पीएम से 05:28 पीएम
शुभ - उत्तम 07:08 पीएम से 08:47 पीएम
अमृत - सर्वोत्तम 08:47 पीएम से 10:26 पीएम
चर - सामान्य 10:26 पीएम से 12:06 एएम, नवम्बर 14
शिव जी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।